पेड़ों और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध देहरादून स्थित संस्थान एफआईआर (फारेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट) में ही सैकड़ों पेड़ों की हालत बुरी है। छानबीन करने पर सामने आया है कि कई वर्षों से ना तो कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया गया है और ना ही बीमार पेड़ों की कोई सुध ली जा रही है। मुख्य बिल्ड़िंग के ही चारों तरफ चक्कर लगाने से करीब 80-100 पेड़ बिना खोज के ही खस्ता हाल के नजर आ जाते हैं।
ब्रिटिश काल में परिसर में लगाए गए पेड़ एफआईआर की लापरवाहियों की वजह से कुछ सूख रहे हैं तो कुछ बूढ़े होकर हल्के थपेड़ों से ही जड़ से उखड़ कर गिर जाते हैं। इन पर ना तो कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है, ना ही रख-रखाव के लिए कोई कार्य किया जाता है। एफआईआर में पेड़ों के बचाव और संरक्षण के लिए एक अलग से विभाग भी है, जिसमें अनेक वैज्ञानिक शोध कार्य करते हैं।
यहां कार्य करने वाले कुछ कर्मचारियों ने बताया कि सीनियर अधिकारी कैंपस में ओवर एज हो चुके पेड़ों की कटाई छंटाई व बीमार पेड़ों के उचित संरक्षण और इलाज को लेकर बिलकुल भी गंभीरता नहीं दिखाते हैं।
इस विषय पर एफआईआर की महानिदेशक डॉ.सविता कहती हैं- ‘हमारे पास ऐसी मशीन है जिससे पेड़ों पर लगाने से पता लगाया जा सकता है कि कोई पेड़ भीतर से कितना खोखला हो गया है। इश मशीन की मदद से वैज्ञानिक इस प्रकार के पेड़ों का सर्वेक्षण कर रहे हैं और समय-समय पर हम इन पेड़ों को निकालते भी रहते हैं।’
अब सवाल यह उठता है कि जब एफआईआर के पास सारे संसाधन उपलब्ध हैं तो पेड़ गंभीर स्थिति में क्यों पहुंच रहे हैं?