अभी तक हम सझते थे कि बिजली कड़ने से जो खास इलेक्ट्रोमैग्रेटिक तरंग पैदा होती हैं उनको ही धरती की धड़कन कहा जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती की एक पल्स भी है। जो कि आसमान में बिजली कड़कने से नहीं धरती के अंदर हलचल होने से पैदा होती है। एक स्टडी में दावा किया गया है कि धरती के अंदर होने वाली गतिविधियां 2.75 करोड़ साल पर फिर से होती हैं।
न्यूयॉर्क यूनिरवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ बायॉलोजी के जियॉलजिस्ट और प्रोफेसर माइकल रैम्पीनो का कहना है कि कई जियॉलजिस्ट्स को लगता है कि धरती के अंदर की गतिविधियां कभी भो हो सककी है। लेकिन प्रोफेसर माइकल की स्टडी में आंकड़ों के जरिए एक साइकल की पहचान की गई है। जिसमें इन गतिविधियों और घटनाओं के बीच लिंक स्थापित किया गया है।
घटनाओं के बार-बार मिले सबूत
पिछले 50 साल में शोधकर्ताओं ने कुछ चक्रों थ्योरी दी है जिसमें 2.6 से 3.6 करोड़ होती हैं लेकिन इन्हें लेकर ज्यादा स्टडी नहीं की जा सकी। अब रेडियो-आइसोटोपिक डेटिंग टेक्नीक के जरिए अतिप्राचीन घटनाओं के बारे में जानना आसान हुआ है। रैंपीनो और उनके साथियों ने 26 करोड़ साल की घटनाओं के रिकॉर्ड पर अनैलेसिस किया।
कब होगी अगली घटना?
89 घटनाओं को लेकर एक स्टडी की गई है। जिसमें पाया गया है कि 10 अलग-अलग बार ये घटनाएं करीब 2.75 करोड़ साल पर हुईं। सबसे ताजा घटना 70 लाख साल पहले हुई जिससे अगली घटना 2 करोड़ साल बाद होने की संभावना है। इनके पीछे धरती के अंदर की गतिविधियों के साथ-साथ अंतरिक्ष की गतिविधियों का असर भी हो सकता है। हालांकि, ऐसा क्यों है, इसके लिए और स्टडी की जरूरत है।