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आज आसमान में दिखाई देगा वर्म मून, यहां जाने इसका महत्त्व

moon 3 आज आसमान में दिखाई देगा वर्म मून, यहां जाने इसका महत्त्व

 

आज पूर्णिमा के दिन आसमान में जो चांद निकलेगा, उसका नाम ‘वर्म मून’ या ‘कीड़ा चांद’ है। इसका ऐसा नाम क्यों और कहां पड़ा, यह क्या होता है और इसके धार्मिक और व्यावहारिक महत्त्व क्या हैं, इन सबसे बातों पर चर्चा होगी।

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भारत के संबंध में देखें तो यह होली के एक दिन पहले वाली यानि फाल्गुन मास की पूर्णिमा है, जिसका अपना खास धार्मिक महत्त्व है। देश के कुछ हिस्सों में कल भी होलिका दहन हुई थी और ज्यादातर हिस्सों में मंगलवार शाम में यह कार्यक्रम होना है। इसके अगले दिन चैत्र मास में होली होगी।

क्या है वर्म मून ?

आपको बता दें कि सर्दी के मौसम की आखिरी पूर्णिमा को वर्म मून या कीड़ा चांद कहते हैं। यह फरवरी के आखिर से लेकर मार्च महीने में आता है। हालांकि इसका नाम ऐसा इसलिए पड़ा, क्योंकि इसी के बाद से गर्मी के मौसम की औपचारिक शुरुआत मानी जाती है; इसकी वजह से मिट्टी भी गर्म होने लगती है और उससे केंचुए और अन्य कीड़े बाहर निकलते हैं। 2023 में वर्म मून 7 मार्च यानि मंगलवार को है। नासा के मुताबिक मार्च के पूर्णिमा को क्रो, क्रस्ट और शुगर मून भी कहते हैं। दरअसल, सभी पूर्णिमा का नाम उस समय के मौसम से जुड़ा रहता है। इसका नाम सबसे पहले 18वीं सदी में अमेरिकी आदिवासियों द्वारा रखा गया था। क्योंकि, इस समय कई तरह के कीड़े जमीन से निकलने शुरू होते हैं।

moon 3 आज आसमान में दिखाई देगा वर्म मून, यहां जाने इसका महत्त्व

यहां जाने वर्म मून का महत्त्व

वर्म मून का महत्त्व कई कारणों से है। पहला तो ये कि उत्तरी गोलार्द्ध में इसी पूर्णिमा से वसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। एक तरह से यह विभिन्न ऋतुओं की चक्रीय प्रकृति की शुरुआत मानी जाती है और यह जीवित चीजों के आपसी संबधों की भी याद दिलाता है। दुनिया के अलग-अलग इलाकों में इसका भिन्न महत्त्व है। वर्म मून का नाम 1930 से ज्यादा प्रचलन में तब आया जब माएन फार्मर्स अल्मानैक में इसको लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी।

 

'Blue Moon'

कब होती है पूर्णिमा ?

पूर्णिमा तब होती है जब सूरज और चांद पृथ्वी के विपरीत दिशाओं में होते हैं। क्योंकि, इस समय चांद के दिन वाला हिस्सा पृथ्वी से स्पष्ट नजर आता है, इसलिए धरती पर इसका पूरा प्रकाश पहुंचता है। दक्षिणी गोलार्द्ध में चांद देर से निकलता है, क्योंकि वहां दिन बड़ा होता है। दिलचस्प बात ये है कि इस साल 12 के बजाए 13 पूर्णिमा होगी, जिसमें अगस्त महीने में तो 2 सुपरमून की घटनाएं देखने को मिलेंगी। सुपरमून आमतौर पर ज्यादा चमकदार और पृथ्वी के नजदीक होने की वजह से ज्यादा बड़े नजर आते हैं। वर्म मून, सुपरमून नहीं है।

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