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जानें क्या है नासा का ‘मून मिशन’ क्या मंगल पर बनेगा स्पेस स्टेशन?

NASA

नासा कुछ ना कुछ रिसर्च करने के लिये जाना जाता है। अब नासा चांद को लेकर अपने अगले ‘मून मिशन’ शुरुआत करने जा रहा है। इस मिशन का लक्ष्य चांद की सतह पर एक स्थायी क्रू स्टेशन बनाने को लेकर है।

इसके लिए किसी अंतरिक्ष यात्री को चांद पर भेजने से पहले एजेंसी चंद्रमा के ठंडे, छायादार दक्षिणी ध्रुव पर गोल्फ-कोर्ट के आकार का एक रोबोट लॉन्च कर रही है। इस रोवर का नाम वाइपर।

कैसा होगा मिशन मंगल
आपको बता दें कि इससे रोवर चंद्रमा की सतह पर जल स्रोतों की खोज में 100 दिन बिताएगा। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से जुड़ा पहला सर्वे होगा।

बता दें कि वैज्ञानिक अब मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजना चाहते हैं क्योंकि चंद्रमा पर कई बार अंतरिक्ष यात्री जा चुके हैं। नासा वहां स्थायी स्टेशन बनाने की योजना बना रहा है। ताकि 2030 तक इसका इस्तेमाल मंगल पर पहले मानव मिशन में मदद के लिए किया जा सके।

 मंगल का स्पेस स्टेशन मिशन
दूसरी ओर वैज्ञानिक ये भी जानना चाहते हैं कि चांद पर पानी कहां पर है। ताकि पानी को घटकों, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ा जा सके।  और दोनों को रॉकेट ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सके।

इंसान को मंगल पर भेजने के लिए बड़ी मात्रा में Propellant की जरूरत होगी। रॉकेट से अंतरिक्ष में ले जाने के लिए यह बेहद भारी है। ‘लाल ग्रह’ पर इंसान को भेजने के लिए नासा को चंद्रमा पर ईंधन के साधन जुटाने होगें।

बिल नेल्सन ने मंगलवार को टाउन हॉल में कहा, ‘जहां पानी है, वहां ईंधन है। इसका इस्तेमाल हम  भविष्य में एक गैस स्टेशन की तरह कर सकते हैं।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी की योजना 2023 तक है

नासा ने जानकारी दी की उसने वाइपर  के लैंड होने की जगह भी चुन ली है। जहां ये गैस स्टेशन की खोज कर सकेगा। आपको बता दें कि इस रोवर को  चंद्रमा के नोबेल क्रेटर के पास एक पहाड़ी इलाके में उतारा जाएगा।

 

 

 

 

 

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