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शोध : बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे भारत के करोड़ों लोग,10 गुना तेजी से पिघल रही हिमालय की बर्फ

सीजन की पहली बर्फबारी

हिमालय के बर्फ के पिघलने की रफ्तार 10 गुना ज्‍यादा हो गई है और इससे गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के सूखने का खतरा पैदा हो सकता है। इससे इन नदियों पर निर्भर करोड़ों लोग खाने के लिए तरस सकते हैं।

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भारत और पाकिस्‍तान पर होगा बड़ा असर

धरती पर ‘तीसरा ध्रुव’ कहे जाने वाले हिमालय के ग्‍लेशियर बहुत ज्‍यादा तेजी से पिघल रहे हैं। एक ताजा शोध में चेतावनी दी गई है कि एशिया में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के किनारे रहने वाले भारत और पाकिस्‍तान के करोड़ों लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। शोधकर्ताओं ने पाया कि पिछले कुछ दशक में खासतौर पर सन 2000 से हिमालय के ग्‍लेशियर से बर्फ 10 गुना ज्‍यादा रफ्तार से पिघली है।

बर्फ के पिघलने की रफ्तार कई गुना तेज़

बर्फ के पिघलने की यह रफ्तार लिटिल आइस एज के समय से औसतन 10 गुना ज्‍यादा तेज है। लिटिल आइस एज वह काल था जब बड़े पहाड़ी ग्‍लेशियर का विस्‍तार हो रहा था। यह काल 14वीं सदी की शुरुआत से 19वीं सदी के मध्‍य तक हुआ। इस शोध में एक और दुखद बात यह है कि हिमालय के ग्‍लेशियर दुनिया के अन्‍य ग्‍लेशियर की तुलना में ज्‍यादा तेजी से पिघल रहे हैं। इससे समुद्र का जलस्‍तर भी बढ़ रहा है।

बहुत तेजी से हो रहा हिमालय में बदलाव

बर्फ के तेजी से पिघलने की वजह से एशिया में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के किनारे रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए खाने और ऊर्जा का गंभीर संकट पैदा हो सकता है। हिमालय के पहाड़ों को अक्‍सर तीसरा ध्रुव कहा जाता रहा है। तीसरा ध्रुव अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद ग्‍लेशियर बर्फ का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है। इस शोध के लेखक डॉक्‍टर सिमोन कुक ने हिमालयी इलाके के लोग इस बदलाव को पहले ही महसूस करने लगे हैं जो पिछले कई सदी में हुए बदलाव से बढ़कर है।

 

ग्‍लेशियर का 40 प्रतिशत इलाका खत्‍म

कुक ने कहा, ‘यह शोध इस बात की ताजा पुष्टि है कि हिमालय में बदलाव तेजी से हो रहा है और इसका कई देशों और इलाके पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ेगा।’ शोध के लिए इस दल ने हिमालय के ग्‍लेशियर का फिर से निर्माण किया। इसके लिए टीम ने सैटलाइट तस्‍वीरों का इस्‍तेमाल किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्‍लेशियर का 40 प्रतिशत इलाका खत्‍म हो गया। यह अपने चरम पर रहने के दौरान 28,000 वर्ग किलोमीटर से घटकर 19,600 वर्ग किलोमीटर पहुंच गया है।

समुद्र का जलस्‍तर 0.03 और 0.05 इंच तक बढ़ा

शोधकर्ताओं ने पाया कि इस काल के दौरान 390 वर्ग किलोमीटर से 586 वर्ग किलोमीटर तक बर्फ पिघल गई। यह मध्‍य यूरोपीय आल्‍प की कुल बर्फ के बराबर है। इस बर्फ के पिघलने से दुनिया में समुद्र का जलस्‍तर 0.03 और 0.05 इंच तक बढ़ गया।

हिमालय में भी पूर्वी इलाके में ज्‍यादा तेजी से बर्फ पिघल रही है जो पूर्वी नेपाल से लेकर भूटान के उत्‍तर तक फैला हुआ है। हिमालय के ग्‍लेशियर उन जगहों पर ज्‍यादा तेजी से पिघल रहे हैं जहां पर वे झीलों के पास जाकर खत्‍म हो जाते हैं।

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