उत्तराखंड

घोटाला: आयुष्मान योजना में बंटाधार शुरू, अस्पतालों के कारनामें रोजाना खुल रहे

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एजेंसी, देहरादून। घोटालों के दौर में जनता की सेवा की अपेक्षा करना बेमानी है, उत्तराखण्ड में अटल आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पतालों ने जालसाजी कर सरकार को ठगना शूरू कर दिया। फुंसी की बड़ी सर्जरी दर्शाकर क्लेम लेना हो या फिर बगैर ऑपरेशन के लाखों रुपये डकारने की बात हर ओर से अस्पताल सरकार को चूसने पर तुले हैं। योजना के नियमित ऑडिट में ऐसे मामले पकड़ में आ रहे हैं। इस तरह के घोटालों में अब तक लगभग 10 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है।
इस मामले में दिल्ली और राज्य की संयुक्त टीम ने जांच की तो मामला सामने आया। इस अस्पताल का यह अकेला मामला नहीं था, जिसमें इस तरह से क्लेम की रकम हड़पी गई। पिछले दिनों एक मरीज का दून अस्पताल में गैंगरीन से ग्रसित होने के चलते पैर काट दिया गया था। इसके बाद वह मरीज इलाज के लिए दून स्थित विनोद ऑर्थो क्लीनिक में चला गया। वहां वह 17 दिन भर्ती रहा। विनोद ऑर्थो क्लीनिक ने इस बात का फायदा उठाया और मरीज के पैर के ऑपरेशन का भी क्लेम ले लिया। राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष दिलीप कोटिया ने बताया कि अस्पतालों के ये कारनामे लगातार पकड़ में आ रहे हैं।
हाथ में फुंसी होने पर एक मरीज दून स्थित अस्पताल में पहुंचा था। अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज का इलाज किया और पट्टी कर घर भेज दिया, लेकिन जांच में पता चला कि इस मरीज की फुंसी के इलाज में ही अस्पताल ने 45 हजार रुपये का क्लेम विभिन्न पैकेजों के तहत ले लिया। इलाज के दौरान कई जांच होनी दर्शाई गईं। जबकि टीम ने जांच में पाया था कि यह एक सामान्य फुंसी थी।
विनोद ऑर्थो क्लीनिक के डॉक्टरों का यह चमत्कार था या कुछ और कि एक मरीज कूल्हे के ऑपरेशन के दो दिन बाद ही मोटरसाइकिल पर फर्राटा भरने लगा। दरअसल, सात मई को एक मरीज कूल्हे में दर्द की शिकायत के चलते इमरजेंसी में भर्ती होना बताया गया था, जिसका ऑपरेशन किया गया। जांच टीम जब अस्पताल पहुंची तो पता चला कि मरीज अस्पताल में नहीं है और थोड़ी देर में पुन: इलाज के लिए आने वाला है। कुछ देर बाद ही मरीज मोटरसाइकिल पर सवार होकर अस्पताल पहुंच गया। टीम ने इस इलाज को भी संदेहास्पद और फर्जी माना है।
विनोद ऑर्थो क्लीनिक की ओर से ही एक मरीज के हाथ का ऑपरेशन कर उसमें प्लेट फिट करने संबंधी क्लेम के लिए आवेदन किया गया। जांच टीम ने मरीज के एक्स-रे की जांच की तो उसमें रॉड डाली जानी दिखाई दे रही थी। जबकि मरीज की रिपोर्ट में प्लेट फिट किए जाने का जिक्र था। ऐसे में प्राथमिक जांच में ही पता चल गया कि यह एक्स-रे किसी और का है।

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