नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 25 साल पुराने बाबरी विध्वंस मामले पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आडवाणी, उमा भारती , मुरली मनोहर जोशी समेत 13 नेताओं पर केस चलेगा। फिलहाल कल्याण सिंह को थोड़ी राहत दी है क्योंकि वो इस समय राजस्थान के गवर्नर पद पर आसीन है। कोर्ट ने कहा है कि इस पूरे मामले की सुनवाई 2 साल के अंदर पूरी हो।
इसके साथ ही कोर्ट ने लखनऊ और रायबरेली में चल रहे केस के साझा सुनवाई के आदेश दिए है। कोर्ट ने कहा है कि लखनऊ में रोजाना इस केस की सुनवाई हो और फैसला अाने तक जज का ट्रांसफर नहीं होगा। चार सप्ताह के अंदर लखनऊ की कोर्ट में सुनवाई शुरु हो। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया है कि वो कोर्ट में गवाहों की मौजूदगी सुनिश्चित करें।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भाजपा के उपाध्यक्ष सुनील भराला ने भारत खबर से फोन पर बात की। उन्होंने इस मामले पर अपनी राय रखते हुए कहा, जो सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय है वो हमारे लिए सर्वोपरि है। भारतीय जनता पार्टी ने उस समय जो भूमिका निभाई उससे हम लोग पूरी तरह से सहमत है और उस समय तत्काल हमारी ये भूमिका होनी चाहिए थी। हम लोग भारतीय जनता पार्टी के उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में कर रहे थे। भाजपा इस फैसले को मानने के लिए तैयार है, लेकिन राम जन्मभूमि को लेकर हमारी भूमिका बिल्कुल ठीक थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा भाजपा को ये झटका आपकी दृष्टि से है लेकिन हम तो गौरवान्वित महसूस करेंगे। इन मुकदमों से हम डरने वाले नहीं है और उस समय लिया गया फैसला एकदम सही था।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अलवी ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले का हम सम्मान करते है। 25 साल पुराना ये मामला है और इसकी सुनवाई रोजाना होनी चाहिए। जो लोग पदों पर बैठे है उमा भारती और कल्याण सिंह इनको इस्तीफा देना चाहिए। अगर ये इस्तीफा देने को तैयार नहीं होते, सत्ता से चिपके रहना चाहते है तो प्रधानमंत्री को चाहिए कि इन्हें निकाल कर बाहर खड़ा करें। कानून का सामना करना चाहिए और वो जो भी फैसला करें उसके बाद ही पद ग्रहण करना चाहिए।
जानिए इस मामले में किन नेताओं की बढ़ेगी मुश्किलें?
लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, बाल ठाकरे, उमा भारती, अशोक सिंघल, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, गिरिराज किशोर, साध्वी ऋतंभरा, महंत अवैद्यनाथ, रामविलास वेदांती, महंत नृत्य गोपाल दास, परमहंस रामचंद्र दास, बी एल शर्मा ‘प्रेम’, सतीश प्रधान, सी आर बंसल, सतीश नागर, मोरेश्वर सावे,जगदीश मुनि महाराज, धरम दास पर आईपीसी की धारा 120B (आपराधिक साज़िश), 153A (समाज में वैमनस्य फैलाना) 153B (राष्ट्रीय अखंडता को खतरे में डालना) और 505 (अशांति और उपद्रव फ़ैलाने की नीयत से झूठी अफवाहें फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।