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राममंदिर पर तुरंत सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,’हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं’ अगले वर्ष होगी सुनवाई

राममंदिर पर तुरंत सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,'हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं' अगले वर्ष होगी सुनवाई

राममंदिर विवाद पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार और रामलला पक्ष के वकील ने तत्काल सुनवाई की मांग की। हालांकि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने सुनवाई बहुत कम समय तक चली।कोर्ट ने यह कहते हुए कि हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं,सुनवाई को जनवरी तक के लिए टाल दिया। बता दें कि कोर्ट ने कहा कि जनवरी के पहले हफ्ते में उचित बेंच इस पर फैसला लेगी कि सुनवाई कब से होगी..?

 

राममंदिर पर तुरंत सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,'हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं' अगले वर्ष होगी सुनवाई
राममंदिर पर तुरंत सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,’हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं’ अगले वर्ष होगी सुनवाई

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वहीं अगर बता की जाए मोदी सरकार की तो वह राम मंदिर के मुद्दे पर पार्टी और समर्थकों के बीच उम्मीदों का दबाव झेल रही है। वे अध्यादेश या संसद से कानून के द्वारा मंदिर का मार्ग प्रशस्त करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के समानांतर कानून का रास्ता निकालने का खतरा लेगी? जानकारों के मुताबिक यह विकल्प खुला है,लेकिन आखिरी होगा। आधिकारिक सूत्रों का मानना है कि फैसला लेने और न लेने,दोनों ही स्थितियां जोखिम भरी हैं। मालूम हो कि राम मंदिर पार्टी के लिए हमेशा बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है केंद्र की मोदी सरकार के लिए परेशानकरने वाली बात है कि अगर वह आम चुनाव से पहले कानून बनाने का रास्ता अपनाती है तो उसके सहयोगी दलों के विफर होने की संभावना है।

कैसे लाया जा सकता है अध्यादेश या विधेयक के रूप में कानून.. ?

आपको बता दें कि कोर्ट में लंबित मामले के समय कानून लाने पर कोई वैधानिक मनाही नहीं है। लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जब विवादित स्थल पर यथास्थिति कायम रखने को कहा है, तो मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश या विधेयक के रूप में कानून कैसे लाया जा सकता है। फिर भी अगर अध्यादेश आता है तो उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प खुला है। कोई भी अध्यादेश या बिल कोर्ट की कसौटी पर परखा जा सकता है। अध्यादेश या बिल की पहल को कोर्ट में ले जाने की संभावना बेहद ज्यादा है। क्योंकि यह मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।

कानून मंत्री ने कहा ,हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं

फिलहाल सुनवाई टलने पर सरकार ने एक तरह से मौन धारण कर लिया है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद नेकोर्ट की सुनवाई को लेकर कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं।प्रसाद ने कहा इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं बोलना है,मेरी सीमाएं हैं। सत्तारूढ़ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हिंदुओं का धैर्य जवाब दे रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कोर्ट से तुरंत फैसला करने या सरकार से कानून बनाने की मांग की है। बता दें कि इस मुद्दे पर पार्टी और सरकार में इसी हफ्ते विचार विमर्श होगा। जिसमें आगे की रणनीति तय होगी।वहीं विपक्षी कांग्रेस और मुस्लिम संगठनों संयम रखने और कोर्ट के फैसला की इंतजार बात कर रहे हैं।

महेश कुमार यादव

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