फेक न्यूज,राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने की मांग को लेकर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और ट्वीटर इंडिया को नोटिस जारी किया है।
दरअसल, SC में फर्जी अकाउंट की जांच के लिए व्यवस्था बनाने की मांग को लेकर BJP नेता विनीत गोयनका की तरफ से याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस के जरिये देश विरोधी कंटेंट शेयर किया जा रहा है। साथ ही समाज में वैमनस्यता फैलाने की कोशिश हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और ट्विटर को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस के जारी करके केंद्र, ट्विटर और दूसरे इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म को फर्जी सूचनाओं पर रोक लगाने और नफरत फैलाने वाली पोस्ट की जांच करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है,कि फर्जी अकाउंट के माध्यम से समाज को भड़काने वाले मैसेज और वीडियो शेयर किये जा रहे हैं।
सोशल मीडिया के कंटेंट को लेकर बीते काफी दिनों से कानून के दायरे में लाने की चर्चा चल रही है। जिसके लिए केंद्र सरकार को आईटी नियमों में बदलाव करने की जरूरता है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने आईटी नियमों में बदलाव की जानकारी संसद को दी है। सरकार का एक बड़ा धड़ा मानता है, कि आईटी नियमों में बदलाव करने से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भारतीय कानून को पालन करने के लिए बाध्य होंगे। सरकार ऐसे नियम बनाये, जो भारतीय समाज और उसके मापदंड़ के मुताबिक काम करे।
इस सबके पीछे बड़ी वजह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस का विदेशी होना माना जा रहा है। क्योंकि सोशल मीडिया पर डाले जाने वाले पोस्ट, वीडियो और कमेंट्स को लेकर सरकार ने अंकुश लगाने के लिए सभी प्लेट फॉर्मस को निर्देश दिये थे। बता दें कि बीते दिनों ट्वीटर और केंद्र सरकार के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया। क्योंकि केंद्र सरकार ने ट्विटर पर हैशटैग फार्मर्स जेनोसाइड से जुड़े सभी पोस्ट और URLs को हटाने और ब्लॉक करने को कहा था। लेकिन ट्विटर ने URLs को ब्लॉक करने से साफ इंकार करते हुए अपना जवाब दिया था। साथ ही बताया था कि ट्वीटर भारत के सभी नियमों और कानूनों का पालन करता है। हालंकि ट्वीटर के जवाब से केंद्र सरकार संतुष्ट नहीं थी।