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एस जयशंकर के राज्यसभा में निर्वाचन को चुनौत, SC ने भेजा नोटिस

s jaishankar एस जयशंकर के राज्यसभा में निर्वाचन को चुनौत, SC ने भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर के गुजरात से राज्यसभा में निर्वाचन के खिलाफ दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया. याचिकाओं में राज्यसभा में आकस्मिक और नियमित रिक्तियों के लिए उपचुनाव कराने के लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी करने पर चुनाव आयोग की शक्ति का मुद्दा भी उठाया गया है. जयशंकर के खिलाफ एक याचिका कांग्रेस नेता गौरव पांड्या ने दायर की है.

याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जयशंकर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जयशंक की ओर ये हरीश साल्वे ने नोटिस स्वीकार किया. जयशंकर इस मामले में जवाब दाखिल करेंगे. ऐसी ही अन्य याचिकाओं पर भी साथ ही सुनवाई होगी. दरअसल पिछले साल गुजरात उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता गौरव पंड्या की याचिका को खारिज कर दिया था. कांग्रेस नेता ने राज्यसभा के लिए जयशंकर के निर्वाचन को चुनौती दी थी. अदालत ने भाजपा के उम्मीदवार जुगलजी ठाकोर के निर्वाचन के खिलाफ कांग्रेस नेताओं चंद्रिका चुडासमा और परेश धनाणी द्वारा दायर दो अन्य याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायाधीश एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाइयों में विदेश मंत्री जयशंकर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने नोटिस स्वीकार किया. अदालत इन मामलों पर अगली सुनवाई की तारीख जल्द ही घोषित करेगी. बता दें कि सर्वोच्च अदालत मई में इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने को राजी हुई थी.

ये है मामला
पिछले साल जुलाई में गुजरात की दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ था. ये सीटें अमित शाह और स्मृति ईरानी के लोकसभा चुनाव जीतने के चलते खाली हुई थीं. दोनों नेता पहले राज्यसभा सांसद थे, लेकिन आम चुनाव जीतकर लोकसभा आ गए थे. इन सीटों पर चुनाव एक ही दिन हुए थे, लेकिन मतदान अलग-अलग हुए थे. कांग्रेस ने इसे चुनौती दी थी. पांड्या की इस याचिका को गुजरात हाईकोर्ट खारिज कर चुकी है.

वहीं जयशंकर ने भी कैविएट याचिका दाखिल कर कहा कि पिछले वर्ष राज्यसभा के लिए उनके निर्वाचन के खिलाफ कांग्रेस के एक नेता की याचिका पर कोई आदेश पारित करने से पहले अदालत उनके पक्ष को भी सुने. इसमें कहा गया है कि गुजरात उच्च न्यायालय के चार फरवरी के आदेश के खिलाफ दायर किसी भी याचिका पर कोई फैसला लेने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए.

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