नई दिल्ली: कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार पांच कार्यकर्ताओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस और कार्यकर्ताओं को सोमवार तक लिखित नोट दाखिल करने का आदेश दिया है जिसके बाद फैसला सुनाया जाएगा। हालांकि फैसला सुनाए जाने तक पांचों आरोपी नजरबंद रखे जाएंगे।
वकील तुषार मेहता ने दलील दी ये दलीलें
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रख रहे वकील तुषार मेहता ने दलील दी कि प्रकाश चेतन और साईबाबा एक ही आदमी के नाम हैं और वो न केवल हिंदी जानता है बल्कि हिंदी में भाषण भी देता है। उन्होंने कहा कि आरोपियों से मिले दस्तावेजों में कई जगह ऐसी गंभीर बातें हैं जिन्हें कोर्ट में बोलकर पढ़ना उचित नहीं है।
वामपंथी विचारकों के ठिकानों पर छापा
बता दें कि जनवरी में भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में हाल ही में पुलिस ने वामपंथी विचारकों के ठिकानों पर छापा मारा था और एक्टिविस्ट गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वामपंथी चिंतक वरवर राव, अरुण फरेरा और वर्नोन गान्जल्विस को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तारियों के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य ने याचिका दायर की है।
पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि विरोधी विचारधारा और कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के बीच फर्क को समझ जाना चाहिए। पीठ के सदस्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम सिर्फ अंदेशे के आधार पर किसी की स्वतंत्रता का गला नहीं घोंट सकते। उन्होंने कहा था कि हम भले ही पसंद न करें लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि असहमति का भाव भी हो सकता है। विरोध करना और गड़बड़ी फैलना व सरकार का तख्ता पलट करना अलग-अलग है।