मनई दिल्ली: सीबीएसई और आईसीएसई की 12वीं की परीक्षा से जुड़ी नीति को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इसमें छात्रों की जरूरत का पूरा ध्यान रखा गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिनमें सभी छात्रों की लिखित परीक्षा लेने की मांग की गई थी।
दरअसल इस साल कोरोना के प्रकोप के चलते सीबीएसई ने 12वीं की परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया है। बोर्ड की तरफ से कोर्ट को बताया गया है कि 3 सालों के औसत के आधार पर 31 जुलाई तक रिज़ल्ट घोषित कर दिया जाएगा। जो छात्र रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होंगे, उन्हें लिखित परीक्षा का विकल्प मिलेगा। यह परीक्षा 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच आयोजित करने की कोशिश की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस नीति पर याचिकेकर्ताओं से सुझाव देने को कहा था। अधिकतर याचिकाकर्ता नीति से सहमत थे, लेकिन एक याचिकाकर्ता ने दलील दी कि जब CLAT और NEET जैसी परीक्षाएं फिजिकल तरीके से हो रही हैं तो 12वीं की परीक्षा भी होनी चाहिए। कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि 12वीं की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या बहुत अधिक है। NEET या CLAT प्रतियोगी परीक्षाएं हैं, उनका आयोजन छात्रों के भविष्य के लिए जरूरी है।
सुनवाई के दौरान कंपार्टमेंट, प्राइवेट और पत्राचार छात्रों की तरफ से चिंता जताई गई कि इस सारी कवायद में उनके बारे में नहीं सोचा जा रहा है। इससे उन्हें इस साल कॉलेज एडमिशन में दिक्कत होगी। CBSE ने आश्वस्त किया कि इन छात्रों को परीक्षा भी 15 अगस्त से 15 जुलाई के बीच हो जाएगी। कोर्ट ने इसे भी आदेश में दर्ज किया।