लखनऊ: सावन का महीना महादेव को समर्पित होता है, सभी बिगड़े काम इस दौरान बन जाते हैं। सच्चे मन से भगवान का पूजन करने से जीवन में सुख मिलता है। इस बार यह महीना और खास है क्योंकि इसका आरम्भ श्रवण नक्षत्र और आयुष्मान योग में हो रहा है।
चार सोमवार हैं खास
सावन महीने का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है। इस दिन जया तिथि है, सभी शुभ कार्य में विजय दिलाने वाली देवी का दिन, इस दिन सभी शुभ कार्यों में विजय मिलती है। नक्षत्र धनिष्ठा है और सौभाग्य का योग है। इसी दिन कजली तृतीया और श्रवण गौरी व्रत भी है।
सावन का दूसरा सोमवार 2 अगस्त को है। इस दिन रिक्ता तिथि है और कृतिका नक्षत्र, योग वृद्धि का है। इसी दिन दुर्गा पूजा, कुमारी पूजा और हनुमान जी दुर्गा पूजन का दिन है।
सावन का तीसरा सोमवार 9 अगस्त को नंदा तिथि के दिन पड़ रहा है। इस दिन रोटक व्रत का भी शुभारंभ होता है। सावन का दूसरा सोमवार 16 अगस्त को है, इस दिन अष्टमी जया तिथि है और अनुराधा नक्षत्र होगा।
सावन महीने में सोमवार के साथ-साथ मंगलवार का भी काफी महत्व है। इस महीने में पड़ने वाले सभी सोमवार को वन सोमवार कहा जाता है, जबकि मंगलवार को मंगला गौरी के नाम से जाना जाता है।
महादेव को क्यों प्रिय है सावन
सावन का महीना महादेव शिव को काफी प्रिय है, पौराणिक कथा भी इस बात को सही साबित करती है। ऐसा कहा जाता है कि जब सनद कुमारों ने महादेव से सावन महीने के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में जब हिमालय राज की पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
उस दौरान उन्होंने सावन के महीने में ही बिना कुछ खाए पिए कठोर व्रत किया था। उन्होंने अपने व्रत से भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनके साथ विवाह किया। इसीलिए भगवान को सावन का महीना काफी प्रिय लगता है। इस महीने में पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र होता है इसीलिए इस महीने का नाम श्रावण है। इस महीने का हर एक दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
बिल्व पत्र का बहुत महत्व
बिल्व पत्रों का भगवान शिव की पूजा में विलक्षण महत्व है। भगवान शिव बिल्व पत्रों से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। पुराणों के अनुसार बिल्व पत्र के त्रिदल तीन जन्मों के पाप नाश करने वाले होते हैं। इस के सम्बंध में विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि अन्य सभी पुष्प तो सीधी अवस्था में भगवान पर चढ़ाये जाते हैं, लेकिन एक मात्र बिल्व पत्र ही ऐसा है, जो उल्टा रखकर भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। खास बात यह है कि बिल्व पत्र को पुनः धोकर भी चढ़ाया जा सकता है। इसमें किसी प्रकार का दोष नहीं लगता।
कैसे करें पूजन
सावन के महीने में महादेव को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र, शिव सहस्त्रनाम, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय साधना जैसे मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार प्रतिदिन आप एक अध्याय का पाठ कर सकते हैं, पूरे महीने सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती रहती है। व्रत के दौरान दिन में एक बार भोजन करना चाहिए। माता पार्वती और भगवान शिव का ध्यान करके शिव का पंचाक्षर मंत्र के जाप करते रहने से बहुत लाभ मिलता है।
पूरे विधि विधान के साथ सभी सोमवार को गणेश जी, शिव जी, पार्वती जी और नंदी जी की पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव की दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, यज्ञोपवीत, वस्त्र, चंदन, रोली, चावल दूर्वा, विल्व पत्र, धतूरा, सुपारी, लोंग, इलाइची, पंचमेवा, धूप दीप के साथ पूजा करनी चाहिए। पूजन के पश्चात रुद्राभिषेक भी कराना चाहिए। ऐसा करने से भोलेनाथ शिव शीघ्र ही प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।