नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्तूबर से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़ी विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर मुकद्दमे की नियमित सुनवाई शुरू होने से पहले राम मंदिर के निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वी.एच.पी.) ने तेवर कड़े कर लिए।
4 महीने का अल्टीमेटम दिया
शुक्रवार को हुई अहम बैठक में संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को 4 महीने का अल्टीमेटम दिया है। संतों ने साफ कहा है कि सरकार 31 जनवरी तक मंदिर निर्माण का रास्ता तलाशे। इसके अलावा संतों ने राम मंदिर के निर्माण पर केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने के लिए दबाव बनाने का फैसला लिया है।
धर्म संसद में आगे की रणनीति बनाई जाएगी
संतों ने कहा कि 31 जनवरी तक सरकार कोई फैसला नहीं करती है तो फिर 1 फरवरी को धर्म संसद में आगे की रणनीति बनाई जाएगी। इसके अलावा नवम्बर महीने में देश के सभी सांसदों से मिलकर राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को संसद में उठाने के लिए दबाव बनाएंगे।
राज्यपालों से मुलाकात करेंगे संत
इसके अलावा 6 दिसम्बर से 18 दिसम्बर (गीता जयंती) तक देश भर के मंदिरों, गुरुद्वारों में राम मंदिर निर्माण के लिए कार्यक्रम करने की संतों ने योजना बनाई है। शुक्रवार को हुई संतों की बैठक में वी.एच.पी. ने राम मंदिर के निर्माण को लेकर प्रस्ताव पास किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि सभी राज्यों में धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ देश के सभी राज्यों के राज्यपालों से मुलाकात कर राम मंदिर निर्माण को लेकर जनभावना से अवगत कराएंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करने की योजना संतों ने बनाई है।
बीजेपी सरकार अगर तीन तलाक पर कानून बना सकती है तो राम मंदिर पर क्यों नहीं: प्रवीण तोगड़िया
बड़े आंदोलन की तैयारी संतों ने यह भी कहा कि अगर केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून नहीं बनाती है तो वी.एच.पी. की उच्चाधिकार समिति के नेतृत्व में बिंदू समाज मंदिर के निर्माण के लिए बड़ा आंदोलन करेगा।