हवा में गुल बाजी मारना किसको पसंद नहीं है, कौन नहीं चाहता कि हवा में घूमता रहे, दौड़ता रहे, हवा से बातें करें, लेकिन आपको बता दें की हवा में घूमना भारत के इतिहास के बहुत बड़े नेता को भारी पड़ गया। जी हां आज आपको बताएंगे उस शख्सियत के बारे में जो सिर्फ 34 साल की उम्र में यह दुनिया छोड़कर चला गया। हम बात कर रहे हैं इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की। वही संजय गांधी जिन्होंने राजनीति में ना होते हुए भी बड़े-बड़े नेताओं को पानी पिला दिया था। वही संजय गांधी जो अपनी बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे। वही संजय गांधी जिन्होंने पहली बार फैमिली प्लानिंग का नारा भारत में दिया था। आज आपको हम विस्तार से बताएंगे संजय गांधी के बारे में।
संजय गांधी का जन्म 14 दिसंबर 1946 को हुआ था। बचपन से ही संजय अपने मनमाफिक काम करते थे। उनको जो पसंद आता था उन्हें वह चाहिए होता था, और उसका नमूना जनता को भी देखने को मिला, जब सरकार ने अपने सारे खजाने को खोल दिया क्योंकि संजय की मांग थी कि वह जनता कार बनाना चाहते हैं। उसके अलावा भी संजय ने बहुत कारनामे किए और इंदिरा अपने छोटे बेटे के लिए सब कुछ कुर्बान करती गई, लेकिन भाग्य का खेल किसे मालूम था कि वह नटखट लड़का 34 साल में ही सब कुछ छोड़ कर चला जाएगा।
संजय गांधी की जब भी बात होती है तो कई किस्से याद आते हैं, एक ऐसा ही किस्सा है कि जब 1980 में कांग्रेस की सरकार केंद्र में वापस लौटी थी, तो वह 9 राज्य जिसमें कांग्रेस की सरकार नहीं थी, संजय ने अपनी मां से कह कर उन राज्यों की विधानसभा भंग करवा दियो और दोबारा चुनाव करवाया गया। सबसे अच्छी बात तो यह थी कि 8 राज्य में कांग्रेस ने वापसी कर लिया। ऐसे ही कई स्टेप संजय गांधी ने लिया था जो यह दर्शाता था कि वह कितने बड़े हैं और कुशल राजनीतिज्ञ हैं।
ये वही संजय गांधी हैं जिनसे विपक्ष चिढ़ता रहता था, इस बात को लेकर कि संजय गांधी ने हीं इमरजेंसी में अपने दिमाग से अपनी मां इंदिरा गांधी को प्रेरित कर बहुत सारे उलटे पुलटे कदम उठाए थे। संजय गांधी हमेशा विवादों में घिरे रहते थे, हमेशा उन पर कोई न कोई केस चलते रहता था एक आद बार जेल भी जा चुके थे।
भाग्य का खेल कोई नहीं जानता। कौन जानता था कि जिसे लोग देश का अगला प्रधानमंत्री समझ रहे हैं वो हवा में गुटबाजी मारने के चक्कर में सब को अलविदा कह देगा। 23 जून 1980 को संजय गांधी सफदरजंग एयरपोर्ट पर लाल रंग की प्लेन उड़ा रहे थे, कुछ देर तक तो सब सही था, लेकिन लगभग 10 मिनट के बाद प्लेन अनियंत्रित हो गया और उसके बाद संजय गांधी हमेशा के लिए विलीन हो गए। उनके साथ कैप्टन सुभाष सक्सेना भी थे वो भी दुनिया छोड़ कर जा चुके थे।
संजय गाँधी को हम उनके बरसी पर याद करते हैं और यही कामने करते हैं कि उनकी अंतरात्मा को शांति मिले।