नई दिल्ली। दुनिया भर में कोरोना का कहर जारी है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। इसका सीधा असर अब नौकरीपेशा लोगों की जिंदगी पर पड़ने लगा है। यह असर सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की नौकरी करने वाले लोगों पर हो रहा है। केंद्र सरकार ने सांसदों की सैलरी में कटौती कर दी है। इसके अलावा सांसदों को मिलने वाली सांसद निधि को भी रोक दिया गया है। ऐसा ही कदम उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड की राज्य सरकारों ने भी उठाया है। इन राज्यों में भी सांसदों की सैलरी में कटौती की गई है और विधायक निधि फंड को रोकने का फैसला किया गया है।
वहीं तेलंगाना राज्य में भी सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में कटौती का ऐलान किया गया है। राज्य में सरकारी कर्मचारियों की सैलरी 75 फीसदी तक काट ली जाएगी। तेलंगाना में ऐसा नहीं है कि केवल सरकारी कर्मचारियों की ही सैलरी काटी गई है। इनके साथ ही कॉन्ट्रेक्ट पर काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों की सैलरी भी 10 फीसदी काटी जानी है। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी सरकारी कर्मचारियों की सैलरी को लेकर एक बदलाव किया गया कि उनकी सैलरी को दो बार में देना तय किया गया। कर्मचारियों की मार्च की सैलरी 2 बार में आनी तय हुई।
केन्द्रीय राजस्व मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना
राजस्व विभाग ने एक परिपत्र में कहा कि उसने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से अपील की है कि वे मार्च 2021 तक हर महीने अपने एक दिन के वेतन का योगदान पीएम CARES फंड में करें।
केन्द्रीय कर्मियों का एक दिन का वेतन का योगदान
सरकार ने केन्द्रीय कर्मियों से अप्रैल 2020 के एक दिन के वेतन का योगदान करने का आग्रह किया है। कर्मचारियों के वेतन से काटे गए वेतन को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति निधि (पीएम CARES फंड) में राहत के लिए योगदान दिया जाएगा।
केन्द्रीय कर्मियों का एक दिन का वेतन का योगदान
सरकार ने केन्‍द्रीय कर्मियों से अप्रैल 2020 के एक दिन के वेतन का योगदान करने का आग्रह किया है। कर्मचारियों के वेतन से काटे गए वेतन को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति निधि (पीएम CARES फंड) में राहत के लिए योगदान दिया जाएगा।
DA में बढ़ोत्तरी का फैसला फिलहाल के लिए टला
लॉकडाउन के कारण कर राजस्व में आई गिरावट के चलते केंद्र ने 1.13 करोड़ सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ता (डीए) बढ़ाने के अपने फैसले को फिलहाल के लिए टाल दिया है। 13 मार्च को, कैबिनेट ने डीए को 4% से 21% तक बढ़ाने के लिए अपनी मंजूरी दी थी, जिसमें वित्त वर्ष 2015 में अतिरिक्त 14,510 करोड़ रुपये की लागत आई होगी।
सरकारी खज़ाना खाली होने से बढ़ रही है समस्या
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां लगभग रूक गईं है। इस कारण सरकार को बड़े फंड की जरूरत है जिससे वे बीमारी के खिलाफ लड़ाई जारी रख सके और उसके साथ करोड़ों लोग जो दिहाड़ी वेतन से कमाते हैं, उनकी मदद कर सके।