साध्वी जया किशोरी बहुत छोटी उम्र से ही भजन, भगवान औऱ भक्ति के साथ ईश्वर की लीला में रंग चुकी हैं। जब वह नौ साल की थीं उस वक्त में उन्होंने रामाष्टकम्, लिंगाष्टकम और शिव तांडव स्त्रोतम कंठस्थ कर लिया था। अक्सर देखा जाता है कि साधू संत का जीवन बड़ा ही सादा होता है क्योकि उन्हें किसी प्रकार की चीज़ से कोई मोह नहीं होता है। वह सांसारिक जीवन को छोड़कर अपना पूरा जीवन त्याग कर ईश्वर की आराधना में जुट जाते है। इसके साथ ही साधू संत या साध्वीयां परिवार की मोह माया को त्याग देते है और ब्रह्मचर्य जीवन जीते है।
बता दें कि साध्वी जया किशोरी से ग्रहस्ती जीवन को लेकर या दूसरी साध्वियों की तरह आजीवन कुंवारी रहने का सवाल पूछा जाता है तो जवाब में साध्वी कहती हैं कि वह शादी भी करेंगी और उनके बच्चे भी होंगे। साध्वी जया किशोरी अपने प्रवचनों में भी अकसर शादी को लेकर भक्तों का मार्गदर्शन करतीं नजर आ जाती हैं। जया किशोरी का कहना है कि लव मैरिज हो या फिर अरेंज मैरिज, शादी से पहले लड़का-लड़की को एक दूसरे से मिलना चाहिए।
अपनी इस बात के पीछे जया किशोरी कारण बताती हैं कि जब तक एक दूसरे से मिलेंगे नहीं तब तक जानेंगे कैसे। बिना जाने अगर शादी कर ली तो वह कितने दिन चल पाएगी ये कहा नहीं जा सकता। शादी को लेकर जया किशोरी ये भी कहती हैं कि सिर्फ अच्छाइयों को देखकर ही किसी से प्यार नहीं करना चाहिए। अगर किसी को प्यार करना है तो उसकी बुराइयों को भी अपनाना पड़ेगा।
जया किशोरी अपने प्रवचनों में ये भी कहती हुई देखि जा सकती है कि शादी ऐसी चीज है जहां किसी तरह की कोई बदली नहीं चलती। इसके साथ ही वो कहती है कि ऐसा नहीं हो सकता कि आपकी जगह कोई और शादी कर ले। जिस तरह से स्वर्ग देखने के लिए खुद मरना पड़ा है उसी तरह खुद शादी भी करनी पड़ती है।
अपनी शादी को लेकर जया किशोरी का कहना है की उन्हें जब उचित हमसफर मिल जाएगा तो वह शादी कर लेंगी। शादी कर वह दूसरी सामान्य लड़कियों की तरह मां भी बनेंगी और प्रवचन भी जारी रखेंगी।