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न घर के न घाट के.. सिंधिया के चक्कर में फंस गये पायलट?

सचिन पायलट न घर के न घाट के.. सिंधिया के चक्कर में फंस गये पायलट?

राजस्थान में सियासी उठा पटक के बाद आखिरकार कांग्रेस ने राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट की छुट्टी कर दी है। और ये संदेश देने की कोशिश की है कि, अब कांग्रेस विधायकों के टूट-फूट के चक्कर में नहीं पड़ेगी।कांग्रेस के प्रवकत्ता रणदीप सुरजेवाला ने सचिन की छुट्टी करने के बाद कहा, ‘सचिन पायलट और उनके साथी बीजेपी की साजिश में फंस गए। मुझे खेद है कि ये लोग 8 करोड़ राजस्थानियों द्वारा चुनी गई कांग्रेस पार्टी की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं। ये अस्वीकार्य है। इसलिए दुखी मन से कांग्रेस ने फैसला लिया है कि गोविंद सिंह को राजस्थान का नया अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। सचिन पायलट को उनके पद से मुक्त किया जाता है।’

राजस्थान पाप की नगरी या रावण की लंका नहीं- सचिन पायलट
इसके साथ ही राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार भी बच गई है। लेकिन कब तक बची है ये कहना थोड़ा सा मुश्किल हैं। इस बीच सवाल उठ रहा है। सचिन ने कांग्रेस से बगावत करके सबकुछ गंवा दिया है। ऐसी स्थिति में उनका अगला कदम क्या होगा..
सचिन पायलट मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए संघर्ष कर रहे थे। सीएम पद की ये चाह अब उन पर इतनी भारी पड़ गई है कि न वो कांग्रेस सरकार के उपमुख्यमंत्री रहे और न ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद उनके पास बचा है। यानी एक राजनेता के तौर पर जो दो बड़े पद उनके पास थे, दोनों से ही सचिन पायलट को हाथ धोना पड़ा है।

सिर्फ ये दो पद ही नहीं जिसका नुकसान सचिन पायलट को हुआ है। पायलट के प्रति गांधी परिवार की जो नजदीकियां थीं, उसे भी चोट पहुंची है। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा तीनों ही सचिन पायलट के काफी करीबी रहे हैं। सचिन पायलट पर गांधी परिवार की विशेष कृपा भी रही। ये बात कांग्रेस ने सचिन को हटाते हुए खुद कबूली है।

ये कांग्रेस की ही कृपा थी कि, सचिन पायलट को 26 साल की उम्र में सांसद, 32 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री, 34 साल की उम्र में प्रदेश अध्यक्ष और 40 साल की उम्र में उपमुख्यमंत्री बनाकर बहुत कम उम्र में राजनीतिक ताकत दी गई। लेकिन उन्होंने कांग्रेस से बगावत करके अपने राजनैतिक करियर के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।

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इस बीच खबर है कि, बीजेपी ने सचिन पायलट को पार्टी में शामिल होने का ऑफर दे दिया है। जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि, शायद बीजेपी सचिन पायलट को ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह पलकों पर बिठा सकती है और बड़ा पद दे सकती है। बेहरहाल अभी बीजेपी बिल्कुल खामोश स्थिति में है।

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