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राजस्थान में सचिन पॉयलट- अशोक गहलोत खेमे में मची अफरातफरी, जानें पूरी कहानी

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जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की क्लीन स्वीप के बाद गहलोत सरकार मुश्किलों से जूझ रही है। बीजेपी जहां एक ओर नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफा मांग रही है, वहीं गहलोत सरकार के मंत्रियों के साथ ही पार्टी के नेता हार की जवाबदेही तय करने की बात कर रहे हैं। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें भी जोर पकड़ रही हैं।
राजस्थान कांग्रेस अब दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। पायलट के करीबी तीन मंत्री उदय लाल आंजना, रमेश मीणा और प्रताप सिंह खाचरियावास जवाबदेही तय करने के साथ-साथ आत्मचिंतन की बात कर रहे हैं। दूसरी ओर गहलोत खेमे के माने जाने वाले कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने अपना इस्तीफा देकर पार्टी के खराब प्रदर्शन की सामूहिक जिम्मेदारी मंत्रियों द्वारा लिए जाने के संकेत दिए।
राज्य में कांग्रेस के एक नेता का कहना है, ‘यह सरकार के दो खेमों के बीच एक तरह का छद्म युद्ध (प्रॉक्सी वॉर) है। बीजेपी की क्लीन स्वीप से गहलोत विरोधी खेमा मजबूत हुआ है और अब उनकी ओर से गहलोत को हटाने की मांग शुरू हो चुकी है। इससे पार्टी कमजोर होगी।’ इसका सबसे ताजा उदाहरण प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सचिव सुशील आसोपा का फेसबुक पोस्ट है, जिसमें उन्होंने सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग की है।
इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ‘राजस्थान में कहीं चले जाओ, एक ही आवाज आती है कांग्रेस अगर सचिन पायलट को 5 साल की मेहनत के प्रतिफल में मुख्यमंत्री बनाती तो आज राजस्थान में लोकसभा के परिणाम कुछ और होते। लोग कहते हैं कि पायलट की 5 साल तक की अथक मेहनत के कारण ही वह माहौल बना जिससे कांग्रेस के विधायक जीते क्योंकि युवाओं को लगता था कि इस बार पायलट को मौका मिलेगा।’
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में गहलोत द्वारा अपने बेटे के निर्वाचन क्षेत्र को ज्यादा तवज्जो दिए जाने से राहुल गांधी की नाराजगी की बात सामने आई थी। इस पर सीएम ने अपनी सफाई में कहा था कि उन्होंने 104 जनसभाएं करते हुए सभी निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा किया है। उन्होंने कहा, ‘मैंने सभी 25 सीटों पर चार से ज्यादा बार दौरा किया और नामांकन भरते वक्त 22 उम्मीदवारों के साथ रहा। मैंने पूरे राज्य में प्रचार किया। आम तौर पर जोधपुर में मैं 2-3 दिन रुकता था। इस बार मैंने इसे दो दिन के लिए बढ़ा दिया।’

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