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क्या हुआ जब पहली बार एक दूसरे से मिले सचिन और गहलोत?, नजरें मिलीं लेकिन गले नहीं..

sachin pilot ashok gehot क्या हुआ जब पहली बार एक दूसरे से मिले सचिन और गहलोत?, नजरें मिलीं लेकिन गले नहीं..

राजस्थान में सियासी घमासान के बाद राजस्थान के उपमुख्यंत्री सचिन पायलट की कांग्रेस में वापसी होते ही पहली बार सचिन और गहलोत सार्वजनिक रूप से मिले हैं। दोनों के मिलते ही सभी नजरें सचिन पायलट और अशोक गहलोत पर टिक गई। इस दौरान दोनों ने माहौल को संभालते हुए एक दूसरे से नजरें तो मिलाई लेकिन गले नहीं मिले।

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कांग्रेस विधायक दल की मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली बैठक से ठीक पहले पायलट ने गहलोत से मुलाकात की है। राजस्थान की सियासत में एक महीने की उठापटक के बाद पायलट और गहलोत गुट के विधायक इस बैठक में एक साथ शामिल हो रहे हैं। इस बैठक से ठीक पहले अशोक गहलोत ने ट्विटर पर प्रदेश में चले सियासी संकट को लेकर सुलह का नया फॉर्मूला दिया। उन्होंने अपने इस ट्वीट में सीएम गहलोत ने विधायकों को संदेश देते हुए लिखा है कि पार्टी का संघर्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में लोकतंत्र को बचाने का है। पिछले एक महीने में पार्टी में जो भी गलतफहमी हुई है, हमें लोकतंत्र के हित में देश और राज्य को ध्यान में रखते हुए इसे क्षमा करने और भूलने की जरूरत है।

तो वहीं, पायलट और गहलोत की इस मुलाकात से ठीक पहले अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ षड़यंत्र के आरोपी पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और विधायक भंवरलाल शर्मा के निलंबन को कांग्रेस पार्टी वापस ले लिया है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने इसकी जानकारी देते हुए ट्वीट किया है कि विचारविमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह निलंबन निरस्त किया गया है। इस संबंध में नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने बताया है कि ‘आज अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं इंचार्ज राजस्थान अविनाश पांडे ने विधायक भंवरलाल शर्मा और विश्वेन्द्र सिंह के कांग्रेस पार्टी से निलंबन को वापस ले लिया है।

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इस तरह राजस्थान में कांग्रेस की सरकार भी बच गई है और बागी नेता भी कसंभल गये हैं। फिलहाल तो सब कुछ ठीक नजर आ रहा है ऐसा कब तक रहता है ये आने वाला ही वक्त बताएगा क्योंकि सियासत में न तो कोई किसी का दोस्त होता और न ही दुश्मन।

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