Russia Ukraine War Tension || पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर बीते 2 महीने से केंद्र की मोदी सरकार चुनाव प्रचार में व्यस्त थी लेकिन आप पांचों राज्यों की चुनावी प्रक्रिया लगभग समाप्त हो चुकी है। हालांकि इन दो महीनों के भीतर अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव आया है। क्योंकि तेल से लेकर खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें केंद्र की मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। तो आइए जानते हैं मोदी सरकार को किन-किन मोर्चे की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल
हाल ही में हुए आर्थिक सर्वे के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में इस साल 70 से $75 प्रति बैलर होने का अनुमान है। हालांकि यह अनुमान पूरी तरीके से गलत साबित हो गया। क्योंकि 7 मार्च को ही कच्चे तेल की कीमत 139 डॉलर के पार हो गई। हालांकि बीती रात कच्चे तेल की कीमतों में थोड़ी राहत मिली है और अब कच्चे तेल की कीमत $123 प्रति बैलर हो गई है।
वहीं बीते 4 नवंबर के बाद देश में पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई है। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय क्रूड के मुताबिक भारत में पेट्रोल डीजल की कीमत बेहद कम है। ऐसे में भारत सरकार पेट्रोल डीजल की कीमत में बढ़ोतरी का फैसला ले सकती है। और अगर मोदी सरकार ने यह फैसला लिया तो महंगाई मुद्रास्फीति दोनों में ही जबरदस्त उछाल देखने को मिलेगा।
कमोडिटी पर कच्चे तेल की कीमतों का पड़ेगा दबाव
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि का सीधा असर मुख्य द्वार पर कमोडिटी पर पड़ेगा और इनकी कीमतों में भी लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। वही ताजा आंकड़ों के मुताबिक ब्लूमबर्ग कमोडिटी इंडेक्स 132.37 अंक के पार पहुंच चुका है। बता दें 24 फरवरी 2022 के बाद इसमें एकदम से 17 अंक की बढ़ोतरी हुई है और यह है। वही 7 जुलाई 2014 के बाद यह अपने उच्चतम स्तर पर है। कमोडिटी जानकारों के मुताबिक कमोडिटी की कीमतों में आई तेजी पर इतनी जल्दी काबू नहीं पाया जा सकता।
थोक महंगाई दर में वृद्धि
बीते 10 महीनों के अंदर भारत में थोक महंगाई दर में 2 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है हालांकि बीते 2 महीने में इसमें काफी नमी देखने को मिली वहीं रूस यूक्रेन के बीच युद्ध से थोक दरों में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है ऐसे में आरबीआई महंगाई की चुनौतियों को निपटारे के लिए अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगी जिसके फलस्वरूप वास्तविक ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी होगी। जिसकी वजह से थोक महंगाई दर में वृद्धि होगी और थोक महंगाई दर में वृद्धि सरकार के लिए अच्छी खबर नहीं है क्योंकि इससे निवेश पर सीधा असर पड़ेगा।
टैक्स कटौती को लेकर सरकार पर बनेगा दबाव
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का निपटारा करने के लिए सरकार पर केंद्रीय दरों की कटौती करने का दबाव बनेगा इससे राजस्व में कमी आएगी। वही एचएसबीसी इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी एक रिसर्च के माध्यम से बताया है कि घरेलू तेलों की कीमतों में 10 फ़ीसदी की बढ़ोतरी से कॉर्पोरेट लाभ में 0.25 की कमी आएगी।
खाद्य उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी
रूस यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संघर्ष की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद्य पदार्थों की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच गई हैं संयुक्त राष्ट्रीय का खाद्य कीमत इंडेक्स हाल ही में उच्चतम स्तर 140. 7% पर पहुंच गया है।