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बैंक की नोटिस से सदमे में आई ग्रामीण महिलाएं

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बलिया। देश की गरीब महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की सरकार की योजनाओं पर पलीता कैसे लगाया जा रहा है, ये जनपद बलिया में देखने को मिला है। जहां लगभग 400 महिलाओं के घर बैंक की तरफ से 25 हजार के कर्ज को भरने का नोटिस आ गआ। सवयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं का दावा है, की उन्होंने कभी भी बैंक का मुंह तक नहीं देखा तो हमने लोन कैसे ले लिया है। पीड़ित महिलाएं अब सरकार से पूरी जांच की मांग कर रही हैं। वाहीं न्याय न मिलने पर आत्महत्या की बात भी कर रही हैं।

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देश की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण महिलाओं का बड़ा योगदान होता है। लिहाजा सरकार कई योजनाओं के तहत ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहती है। लेकिन कागज के एक टुकड़े ने बलिया जनपद के नरही गावं की सैकड़ों महिलाओं को सदमे में डाल दिया है। दरअसल नरही गावं सहित आसपास के कई गावं की महिलाएं अलग-अलग स्वयं सहायता समूह बनाकर अपनी मेहनत की कमाई का कुछ हिस्सा बैंक में जमा करती थी। ऐसे में गावं में मौजूद पूर्वांचल बैंक की शाखा से इन महिलाओं को रिकवरी नोटिस मिलती है। जिसके मुताबिक स्वयं सहायता समूह से महिलाओं को सूचना दी जाती है, की उनके द्वारा लिए गए 25 हजार के कर्ज की भरपाई करनी है। घरों में लगे ताले यह गवाही दे रहे हैं कि बैंक के इस नोटिस के बाद गावं की महिलाओं में कितनी दहसत भरी हुई है। दरसल नोटिस पाने वाली ग्रामीण महिलाओं का कहना है, कि उन्होंने कभी भी बैंक का मुंह तक नहीं देखा। तो कर्ज लेने का सवाल ही पैदा कैसे हो गया। इन महिलाओं का आरोप है कि गावं की ही एक महिला निभा पांडे इन समूह की अनपढ़ महिलाओं से अंगूठा लगाकर समूह के सदस्यों से पैसा लिया करती थी। जिसने आज तक बैंक में चल रहे समूहों से जुड़ी महिलाओं के एकाउंट की जानकारी उन्हें नहीं दी है।

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इस मामले की पड़ताल करते हुए जब गावं में मौजूद पूर्वांचल ग्रामीण बैंक की नई शाखा के मैनेजर से इस नोटिस के बाबत पूछा गया, तो पहले तो बैंक मैनेजर आनाकानी करने लगा पर मीडिया ने जब एक पीड़ित महिला को मिले नोटिस के आधार पर उसके एकाउंट की जानकारी करनी चाही तो पता चला की इस महिला के नाम पर पहले तो 25 हज़ार का लोन लिया गया, फिर एक नए एकाउंट से 3 लाख का नया लोन भी लिया गया है। जिसकी जानकारी पीड़त महिला को भी नहीं थी। लिहाजा बैंक मैनेजर ने बताया की ये नोटिस गलती से चला गआ है। दरसल ये पूरा मामला घपले बाजी का दिखाई दे रहा है। अनपढ़ और गरीब महिलाओं की मेहनत की कमाई पर गिद्ध जैसी नज़र रखने वाले आसानी से इन महिलाओं से आसानी से किसी भी दस्तावेज पर अंगूठा लगावाया जाता है और इन भोले-भाले ग्रामीणों को कुछ भी पता भी नहीं चलता। इस मामले में भी पीड़ित महिलाओं के मुताबिक NGO चलाने वाली निभा पांडे समूह के किसी भी सदस्य को अपना पैसा बैंक में खुद नहीं जमा कराने देती थी। वो और उसका पति बड़े-बड़े ख्वाब दिखा कर इनसे मासिक किस्त लेकर अपने खेतों में बंधुआ मजदूर की तरह काम कराते थे।

बैंक की नोटिस के बाद दर-दर की ठोकरे खा रही पीड़ित महिलाए आत्महत्या की बात कह रही हैं। वहीं बलिया के मुख्यविकास अधिकारी सानोश सिंह का कहना है कि पूरे मामले के जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।

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