कानपुर: गुरुवार को आरपीएफ और जीआरपी पुलिस की संयुक्ट टीम ने चेकिंग अभियान चलाकर गुरुवार को 15 फर्जी टीटीई को पकड़ा है। ये सभी फर्जी पहचानपत्र के जरिए टीटीई बनकर लोगों को ठहने का काम कर रहे थे। पुलिस को इनके पास से रेलवे के फर्जी पहचान पत्र और कागजात मिले हैं। रेलवे ने जानकारी देते हुए बताया कि ये सब काम कानपुर का ही एक शख्स पैसे लेकर फर्जीवाड़ा करवा रहा था।
पुलिस के मुताबिक, गुरुवार को घंटाघर की ओर बनी स्वाचलित सीढ़ियों के पास आरपीएफ पोस्ट जवान और टिकट चेकिंग स्टाफ चेकिंग कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक सफेद कमीज पहने यात्रियों का टिकट चेक करता हुआ एक शख्स दिनेश दिखाई पड़ा। गले में उसके आईकार्ड की डोरी लटक रही थी, लेकिन उसमें कार्ड नहीं था।
आरपीएफ जवानों को जब उसपर शक हुआ तो उन्होंने पूछताछ की, जिसके बाद उसने खुद को रेलवे का कर्मचारी बताया। जवान को उसने मोबाइल में एक आईडी दिखाई, जिसमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर दफ्तर की मुहर लगी थी। वहीं मौजूद चेकिंग स्टाफ ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया। इसके बाद जब टीटीई ऑफिस लाकर रिकार्ड चेक किया गया तो वहां किसी भी दिनेश का रिकार्ड नहीं मिला और नही कोई ट्रेनिंग स्टाफ की लिस्ट में मिला।
युवक से पूछताछ के बाद जीआरपी ने अभियान चलाकर स्टेशन से ऐसे 15 फर्जी टीटीई बनकर लोगों को ठगने वाले आरोपियों को गिरफ्तार किया। वे सब खुद को अंडर ट्रेनिंग बता रहे थे। पुलिस को इनके कब्जे से फर्जी आईडी और फर्जी नियुक्ति पत्र भी मिले। कुछ लोग तो बकायदा इनकी हाजिरी भी लेते थे।
जांच में खुलासा हुआ की कानपुर शहर के ही पनकी में रहने वाला रुद्र प्रताप ठाकुर लोगों को सेंट्रल स्टेशन के गेट नंबर-1 या कभी पनकी स्टेशन पर बुलाकर रेलवे में टीटीई या पोर्टर की नौकरी देने का झांसा कर ये फर्जीवाड़ा करता था। रुद्र के घर जब पुलिस ने छापा मारा तो वह भाग निकला और पुलिस के हाथ एक गाड़ी बरामद हुई।