नागरिक अवज्ञा आंदोलन-
महात्मा गांधी जी द्वारा इस आंदोलन की शुरूआत दिसंबर 1929 में शुरूआत की गई थी। नागरिक अवज्ञा का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार को पूरी तरह से अनदेखा करने के लिए चलाया गया था और उनकी अवज्ञा करना था। यह वही अवज्ञा आंदोलन है जिसके दौरान भगत सिंह, राजगुरू तथा सुखदेव को फांसी दी गई थी।
भारत छोड़ो आंदोलन-
9 अगस्त 1942, यह तारीख भारत के इतिहास में भारत छोड़ों आंदोलन के शुरूआत की तारीख के नाम से कैद हो गई। जिसका लक्ष्य था भारत से ब्रितानी साम्राज्य को समाप्त करना। इस आंदोलन की शुरूआत महात्मा गांधी द्वारा किया गया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने मुंबई से किया था। साल 2017 में इस आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। कई जगह पर 9 अगस्त को कई सारे कार्यक्रमों का आगाज होगा। इस आंदोलन के जरिए भारत की आजादी का रास्ता खुल गया था। इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा दिया था। इस आंदोलन से जेपी नारायण को राष्ट्रीय पलट दी थी और उन्हें एक क्रांतिकारी के रूप में दर्शाया था।
गांधी जी के आगाज के बाद यह आंदोलन पूरे देश भर में हुआ था। इस आंदोलन में काफी सारे लोगों को जेल भी जाना पड़ा था। कई लोगों का घर परिवार उनसे काफी दूर चला गया था। कई लोगों ने इस आंदोलन के चलते अपने देश के लिए कुर्बानियां दी थी। लोगों के प्रति देश के लिए इतना जजबा था कि वह देश के लिए अंग्रेजों से बगावत पर उतर गए थे। भारत आने के बाद गांधी जी ने भारतीय मानस को एक करने के बाद जनांदोलन बनाने का कार्यक्रम चलाया था। जिसे भारत छोड़ों आंदोलन के नाम से बुलाया गया था। इस आंदोलन के दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने एक नारा दिया, ‘मरो नहीं, मारो’ इस नारे ने देश के लोगों में देशभक्ति जगाने का काम किया था। क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन करने का फैसला किया था। लेकिन इस आंदोलन की शुरूआत में उन्हें तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया गया था।