लखनऊ: एसजी पीजीआई में इस महीने में रोबोट किडनी का ट्रांसप्लांट करेंगे। एसजीपीजीआई में इस महीने से किडनी का ट्रांसप्लांट शुरू हो रहा है। वैसे तो किडनी का ट्रांसप्लांट काफी समय किया जा रहा है। लेकिन अब इस ट्रांसप्लांट में रोबोट की सहायात ली जाएगी।
सामान्य ट्रांसप्लांटेशन से ज्यादा सुरक्षित है
अस्पताल ने जानकारी देते हुए कहा रोबोट के द्वारा ट्रांस्प्लांटेंशन काफी सुरक्षित है। रोबोट के द्वारा ट्रांस्प्लांटेंशन सामान्य ट्रांसप्लांट से ज्यादा सुरक्षित होगा। इसमें जोखिम कम होगा और ऑपरेशन भी छोटा होगा। प्रदेश में रोबोट के द्वारा किडनी का ट्रांस्प्लांटेंशन का यह पहला मामला होगा।इसकी शुरूआत करने जा रहा लखनऊ का एजीपीजिआई।
मरीज के लिए ज्यादा सुरक्षित और सटीक होगा
चार घंटे में सर्जरी करेगा रोबोट
एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने अपनी टीम रोबोट को शामिल किया है। और अब यह किडनी के ट्रांस्पलांट में सहयोग भी देगा। नेफ्रोलॉजी विभाग के सीनियर डॉक्टर नारायण प्रसाद ने जानकारी देते हुए बताया रोबोट के द्वारा ट्रांस्प्लांटेंशन में जोखिम कम होगा। और मरीज को ऑपरेशन के दौरान चीरा भी छोटा लगेगा। सामान्य किडनी ट्रांस्प्लांट करने में पांच से छह घंटे का समय लगता है। और रोबोट भी ट्रांस्प्लांटेंशन में इतना ही समय लेगा।
चार लाख रुपए होगा खर्च
विशेषज्ञ ने आगे बताया ट्रांस्प्लांटेंशन में कुल खर्चा चार लाख आएगा। सामान्य किडनी ट्रांसप्लांट में तीन लाख रुपए का खर्चा आता था। जबकि निजी संस्थानों में यह खर्चा 20 लाख के आसपास आएगा।
एक हफ्त में चार ट्रांस्प्लांटेंशन संभव
नेफ्रोलॉलजी के विशेषज्ञ ने बताया ने सामन्यत यहां तीन से चार ट्रांस्प्लांटेंशन हो रहे थे। हर साल लगभग 150 ट्रांस्प्लांटेंशन किए जा रहे थे। कोरोना के दौरान यह संख्या घटी है। अब कोरोना के संक्रमण घटने के बाद फिर किडनी ट्रांस्प्लांटेंशन ने रफ्तार पकड़ी है। रोबोट हर हफ्ते तीन से चार ट्रांस्प्लांटेंशन कर सकेगा।
जानकारी के मुताबिक साल 2019 में एसजीपीजिआई में रोबोट को शामिल किया गयाा था। रोबोट पांच विभागों को अपनी सेवा दे रहा है।