मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्वामी हरिदास की सघन-उपासना के फलस्वरूप वृंदावन के निधिवन में श्री बांके बिहारी जी महाराज का प्राकट्य हुआ। बिहारी जी के इस प्राकट्य उत्सव को बिहार पंचमी के नाम से जाना जाने लगा।
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इस साल 28 नवंबर को बिहार पंचमी का उत्सव मनाया जाएगा। यूं तो बिहार पंचमी पूरे देश में मनाई जाती है लेकिन इसकी धूम सबसे अधिक ब्रज धाम में स्थित वृंदावन में देखने को मिलती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वामी हरिदास भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त थे। उनकी सघन उपासना के कारण ही वृंदावन में श्री कृष्ण बांके बिहारी रूप में अवतरित हुए थे। जिस तिथि पर बांके बिहारी का प्राकट्य हुआ था वह मार्गशीर्ष माह की पंचमी तिथि थी।
हर साल की तरह इस साल भी ठा. श्री बांके बिहारी जी महाराज का जन्मोत्सव पुण्य भूमि श्री निधिवनराज में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाएगा। इसमें प्रात: कालीन ठा. श्री बांके बिहारी जी महाराज की प्रकट स्थली श्री निधिवनराज में महा अभिषेक किया जाएगा।
(आश्रित गोस्वामी, अंगसेवी श्री बांके बिहारी मंदिर वृंदावन)
ठाकुर बांके बिहारी जी के अंगसेवी आश्रित गोस्वामी जी ने भारत खबर से खास बातचीत में बताया कि गोस्वामी श्री छबीले वल्लभ जी महाराज ने इस परंपरा को शुरू किया था। इस दिन श्रीस्वामी हरिदास जी महाराज ठा. बांके बिहारी जी महाराज को जन्मोत्सव की बधाई देने के लिए श्री निधिवनराज से गाजे-बाजे एवं भक्तजनों की टोली के साथ अपने चांदी के रथ में विराजमामन होकर नगर भ्रमण करते हुए ठा. श्री बांके बिहारी मंदिर पधारेंगे।