मनोरंजन

फिल्म रिव्यू: Running shadi

running shadi फिल्म रिव्यू: Running shadi

नई दिल्ली। कहने को तो जमाना बदल रहा है लेकिन आज भी ऐसे बहुत से परिवार है जो कास्ट रिलिजिय्न और पुरानी कट्टरवादी सोच के अनुरूप ही चलते है, जिसके कारण प्रेमियों को दूसरा रास्ता यानी भाग कर शादी करने का रास्ता अपनाना पड़ता है। ऐसी तो बहुत सी वेबसाइट्स है जो अरेंज मैरिज के लिए सही पार्टनर ढूंढने के लिए बनाई गई है लेकिन इससे प्रेमियों का तो कोई फायता नहीं हो पाता और उनके घर वाले भी उनको उनके प्यार से शादी नहीं करने देते। इसी आधार पर प्रेमियों की शादी कराने के लिए एक वेबसाइट बनाने के आइडिए पर बनी फिल्म रनिग शादी आज रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म का निर्देशन अमित राय ने किया है।

running shadi फिल्म रिव्यू: Running shadi

अगर हम इस फिल्म की बात इसके आइडिए के आधार पर करें तो यह आइडिया काफी इंटरस्टिग है लेकिन फिल्म के कमजोर निर्देशन और कहानी में दम ना होने से इस फिल्म को कहीं का नही छोड़ा। पहले हम आपको मूवी की कहानी बताते है, जो पंजाब से शुरू होकर बिहार में जाकर खत्म होती है। बिहार का रहने वाला भरोसे (अमित शाद) पंजाब के अमृतसर में एक कपड़े की दुकान में काम करता है। उसकी दुकान के मालिक की बेटी निम्मी (तापसी पन्नू) के साथ दोस्ती है लेकिन एक विवाद के चलते भरोसे अपना काम छोड़ देता है और अपने दोस्त (अर्श बाजवा) के साथ मिलकर एक वेबसाइट शुरू करता है। इस वेबसाइट से वे जोड़ियां जुड़ती हैं, जो पारिवारिक विरोध या किसी और वजह से शादी नहीं कर पा रही है। भरोसे की भी शादी बिहार में उसके मामा जी ने तय कर दी है, लेकिन निम्मी भरोसे से प्यार करने लगती है और भरोसे उसकी इन फीलिंगस को नहीं समझ पाता। भरोसे से शादी करने के लिए निम्मी ऐसा ड्रामा करती है कि भरोसे उसको लेकर भाग जाता है और अपने घर बिहार तक पहुंच जाता है जहां उसकी शादी का दिन भी आ जाता है, लेकिन मूवी के ऐंड में निम्मी और भरोसे का मिलन हो जाता है।

फिल्म का आइडिया तो अच्छा था, जिस पर एक लाइट कॉमेडी रोमांटिक फिल्म बन सकती थी, लेकिन निर्देशक अमित राय फिल्म की अच्छी शुरूआत के बाद भी फिल्म को संभाल नहीं पाए और फिल्म लड़खड़ाती चली जाती है। एक तरफ वेबसाइट के जरिए प्रेमी युगलों को शादी करने का मौका देने का नया आइडिया, तो दूसरी तरफ फिल्म में ऐसे मसालों को ठूंस दिया, जिनसे फिल्म दोयम दर्जे की होती चली गई। इन दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने में अमित राय का निर्देशन फेल हो गया। फिल्म का कॉमेडी और रोमांस के बीच भी संतुलन ना हो पाने की वजह से भी फिल्म कमजोर दिखी। खास तौर पर दूसरे हाफ में तो फिल्म का और बुरा हाल हो गया। भरोसे की शादी का पूरा सीक्वेंस दयनीय है।

परफॉरमेंस की बात करें, तो कमजोर किरदार होने की वजह से तापसी पन्नू और अमित शाद भी बहुत कुछ नहीं कर पाए। तापसी ग्लैमर वाले मामले में तो अच्छी रहीं, लेकिन एक्टिंग के लिहाज से कमजोर किरदार की मार ने उनको बेअसर कर दिया। सहायक भूमिकाओं में भरोसे के दोस्त के रोल में अर्श बाजवा ठीकठाक रहा। पंकज झा ने भी कॉमेडी के कुछ बेहतर सीन क्रिएट किए है और तकनीकी रूप से फिल्म ठीक है, लेकिन संगीत के मामले में भी फिल्म कुछ खास नहीं है। अच्छा आइडिया होने के बाद भी फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर चल पाना मुश्किल लगता है।

Related posts

विक्की कौशल की फिल्म ‘सरदार उधम’ का रिलीज हुआ टीजर, ओटीटी पर इस दिन देगी दस्तक

Kalpana Chauhan

जानिए मीरा और शाहिद कपूर की फेवरेट सेक्स पॉजीशन कौन सी है?

Mamta Gautam

नीता का आईओसी की सदस्य बनने पर गर्व है : प्रियंका

bharatkhabar