मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां प्रशासन ने कंट्रोल रूम में एक ऐसे अधिकारी का नंबर दे दिया गया, जो दो साल पूर्व ही रिटायर हो चुके थे।
जानकारी के अनुसार, जिला प्रशासन द्वारा कलेक्ट्रेट मुख्यालय पर ऑक्सीजन संबंधी शिकायतों के निस्तारण के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उधम सिंह का मोबाइल नंबर दे दिया गया, जो वर्ष 2019 में ही रिटायर हो चुके हैं। प्रशासन ने जब यह सूची जारी की तो पीड़ितों ने उनके नंबर पर फोन करना शुरू कर दिया।
रिटायर कर्मी को ऑक्सीजन की जानकारी नहीं
अब तक उधम सिंह के पास सैकड़ों पीड़ितों ने फोन करके ऑक्सीजन संबंधी जानकारी लेने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें सभी को इनकार करना पड़ा क्योंकि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं है। ऐसे संकट के समय लापरवाही तो प्रशासन की उजागर हो रही है, जो इस महत्वपूर्ण सूची में रिटायर कर्मचारी का मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड कर दिया, जिसे ऑक्सीजन संबंधी कोई जानकारी भी नहीं है।
इसके साथ ही जिन 30 निजी और सरकारी अस्पतालों के प्रभारियों के नंबर दिए गए हैं, उनमें से अधिकांश फोन उठाते ही नहीं है। खासतौर से मेडिकल कॉलेज में जो नंबर दिया गया है, वह नगर निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी का है, जो उठता ही नहीं है। ऐसे में कोरोना मरीजों को इलाज कैसे मिल पा रहा होगा, यह भी बड़ा सवाल है।
प्रशासन ने जल्द बदल दिया नंबर
जिला प्रशासन द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं पर किसका कंट्रोल है और कौन इसका जिम्मेदार है। वहीं, इस मामले में एडीएम वित्त एवं राजस्व सुभाष चंद्र प्रजापति ने बताया कि, लिस्ट में रिटायर कर्मी का मोबाइल नंबर गलती से अंकित हो गया था। उनके नंबर की जगह दूसरे कर्मी का नंबर डाल दिया गया है। लोगों की समस्याओं का निस्तारण भी किया जा रहा है।