बुलंदशहर। लोगों की सुरक्षा का जिम्मा कांधो पर रखने वाली यूपी पुलिस को कहीं ना कहीं खुद पर अनहोनी का डर सताता है। दरसल यूपी के बुलंदशहर नगर कोतवाली जर्जर हो अपनी तकदीर पर रो रही है और उसके अंदर अपने फर्ज को जिम्मेदारी से निभाने वाले पुलिसकर्मीयों को हमेशा ये डर सताता है कि कहीं इमारत गिर ना जाए। लेकिन 15 साल से प्रशासन को बोझ अपने कन्धों पर लिए ईमारत अब खुद लकड़ी के पिलरों पर टिकी है इस सब के बावजूद भी ईमारत पर ना शासन की कोई नजर है और ना ही प्रशासन की।
ये तस्वीरें किसी पुराने महल या हवेली की नहीं हैं बल्कि ये तस्वीरें हैं बुलंदशहर की नगर कोतवाली की जहाँ आप देख सकते हैं किस तरह हवालात का हवाला बना पड़ा है छत और दिवार का हाल देख यहाँ तैनात पुलिसकर्मियों समय समय पर कैदी और मालखानो की जगह जरूर बदलीं लेकिन ईमारत का डर उन्हें हर दिन खाता है अगर आज से 15 साल पहले की बात करें तो ये कोतवाली महज एक चौकी थी दरसल आज से ठीक 15 साल पहले की बात करें तो बुलंदशहर की नगर कोतवाली बुलंदशहर के उपरकोट में स्तिथ थी लेकिन ईमारत पुरानी और जर्जर होने के बाद प्रशासन की नींद खुली और कोतवाली को हलाती तौर पर कुछ दिन के लिए कोतवाली को इस चौकी पर शिफ्ट कर दिया गया था लेकिन कोतवाली में कार्य शुरू होने के बाद प्रशासन एक बार फिर कुमकरन की नींद सो गया। और फिर नगर कोतवाली की ये ईमारत एक बार फिर जर्जर हो चुकी है कोतवाली का अगला हिस्सा नीचे की तरफ झुक गया है जबकि दीवारें भी दो फटकर दो फाड़ में बट गईं हैं।
जहां ईमारत देख कोतवाली में तैनात पोलिकर्मियों हर दिन किसी अनहोनी का डर सताता है तो वहीं आलाधिकारियों के दवाब में तैनात पोलिसकर्मी दबी जुबान में भी कुछ कहने को तैयार नहीं हैं वहीँ कोतवाली में तैनात दरोगा की माने तो वो बहुत मजबूरी में यहाँ वक्त काट रहे हैं लेकिन वो आला अधिकारीयों से सिवा गुजारिश के कुछ नहीं कर सकते हैं अब सवाल ये उठता है की आवाम की सुरक्षा का जिम्मा कन्धों लिए इन पुलिसकर्मियों की सुरक्षा का जिम्मेदार कौन है?
-मोहम्मद अली