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MSME: वीपी सिंह सरकार के इस फैसले को याद कर रहे उद्यमी

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लखनऊ। सूक्ष्म,लघु व मध्यम उद्यम (MSME) वह क्षेत्र है जिसमें दुनिया भर के 90 प्रतिशत व्यापार आते हैं,यह हम नहीं कह रहे हैं,बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ खुद कहता है। बताया तो यहां तक जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था और विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में इस सेक्टर का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

देश में एक बड़ी आबादी को एमएसएमई क्षेत्र में ही रोजगार मिलता है,इसके अलावा देश की जीडीपी में इसका अहम योगदान है। उसके बाद भी इस में काम कर रहे उद्यमी मौजूदा समय में खासा परेशान है,जिसका खामियाजा इनसे जुड़े एक बड़े वर्ग को भी उठाना पड़ रहा है।

उद्यमी सरकार की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद कुछ राहत पैकेज का ऐलान हो सकता है। सरकार के ऐलान के बाद ही कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के बैंकिंग कमेटी के चेयरमैन के. के. अग्रवाल ने भारत खबर संवाददाता वीरेंद्र पाण्डेय से खास बातचीत के दौरान खराब हालात से गुजर रहे एमएसएमई सेक्टर के लिए क्या बेहतर हो सकता है,उसके बारे में सीधी बात की।

के. के. अग्रवाल ने कहा कि तीन तरीके हैं,जिससे सरकार चाहे तो हमें यानी की उद्यमियों को राहत मिल सकती है।

राहत का पहला तरीका

के. के. अग्रवाल बताते हैं कि जब वीपी सिंह की सरकार थी,उस समय उन्होंने वैट में हायर नोशनल क्रेडिट दिया था। उसी तरह का मौजूदा सरकार को भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें सरकार हायर नोशनल आईटीसी फ्रॉम जीएसटी पांच से दस प्रतिशत दे सकती है। जिससे काफी राहत मिलेगी।

हायर नोशनल क्रेडिट के बारे में के. के. अग्रवाल ने समझाते हुये बताया कि परचेजर युनिट जो मैटेरियल खरीदती है,उसमें जीएसटी का जो रेट उस पर भुगतान करती है,उसके अलावा अलग से क्रेडिट मिल जाये तो बेहतर होगा।

राहत का दूसरा तरीका

के. के. अग्रवाल ने कहा कि यदि बैंकिंग सेक्टर की बात करें तो पिछले साल जब कोरोना फैला था,उस दौरान आर्थिक स्तर पर राहत दी थी,उससे लिक्विडिटी बनी। उस दौरान सरकार ने उद्यमियों को ब्याज देने के लिए तीन महिने की राहत दी थी और कहा था कि आप तीन महिने बाद ब्याज दिजिएगा।

इसके अलावा मौजूदा सरकार के एक और फैसले से उद्यमियों को राहत मिली थी,जिसमें कहा गया था कि जिन उद्यमियों ने 29 फरवरी 2020 तक जितना लोन ले रखा था,उसका 20 प्रतिशत वह और लोन ले सकता है। जिसकी गांरटी सरकार ने खुद दी थी,इसमें बैंक को चिंता करने की जरूरत थी।

इसी प्रकार कोरोना की दूसरी लहर आने पर सरकार ने इसमें दस प्रतिशत की और बढ़ोत्तरी कर दी थी। इसके लिए बजट भी तीन लाख करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ कर दिया था। लेकिन बैंक वाले उसमें गलत इण्टरप्रेट कर रहे हैं।

क्या गलत इण्टरप्रेट कर रहे हैं बैंक वाले

के. के. अग्रवाल के मुताबिक पांच मई को आरबीआई ने एक सर्कुलर निकाला था,उसमें यह कहा गया था कि जिन्होंने पहले लोन नहीं लिया है या फिर जिनकी पहले रिस्ट्रक्चरिंग नहीं हुयी है,उनकों यह लाभ दिया जाये। वहीं जो मिनीस्टरी ऑफ फाइनेंस का सर्कुलर जून महिने में आया,उसमें उन्होंने यह कहा कि जिनकों पहले 20 प्रतिशत दिया गया था। उनकों दस प्रतिशत एडिशनल दिया जाये। यदि यह हो जाये तो भी कुछ राहत मिल सकती है।

रिस्ट्रक्चरिंग का तात्पर्य

के. के. अग्रवाल बताते हैं कि जिन लोगों ने तीन साल के लिए लोन लिया था,उसका रिस्ट्रक्चर कर रिवाइज फिगर जमा करना है,उसको सरकार ने कहा कि अब अब आप को यानी की उद्यमी को पांच साल में लोन जमा करना होगा,जिसमें दो साल ब्याज बाकी के तीन साल मूलधन देना है। उसमें बहुत से लोगों ने कहा कि हमें लोन का दस प्रतिशत और लोन दीजिए हम तीन साल में जमा कर देंगे,लेकिन बैंक इसको मना करता है।

तीसरा तरीका (आर्थिक पक्ष)

के. के. अग्रवाल बताते हैं कि आर्थिक पक्ष की बात करें तो उद्यमी सरकारी विभागों को अपने उत्पाद की सप्लाई करते हैं,लेकिन उसका भुगतान समय पर नहीं मिलता। जिससे उद्यमी को वर्किंग कैपिटल की समस्या आती है। ऐसे में समय पर भुगतान हो जाये तो अच्छा रहेगा।

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