बीते रविवार यानी 25 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत हो गई है। वहीं कल सावन का पहला सोमवार था, और आज यानी 27 जुलाई को श्रावण गणेश चतुर्थी व्रत है।
वेदः शिवः, शिवः वेदः
कई हिन्दू ग्रंथों में लिखा है कि सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र होता है। रूद्र मतलब शिव, और सभी देवता रूद्र की आत्मा है। दूसरी ओर कहा जाता है कि वेदः शिवः, शिवः वेदः यानि वेद ही शिव हैं और शिव ही वेद हैं। श्री लिंग पुराण के अनुसार शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और ऊपरी भाग में महादेव रूद्र सदाशिव स्थित रहते हैं।
गंगाजल से अभिषेक करना शिव को प्रिय
वहीं शिवलिंग की वेदी महादेवी अंबिका हैं, जो तीनों गुणों में युक्त रहती हैं। जो लोग उस वेदी के साथ शिवलिंग की पूजा करते हैं वो शिव पार्वती तेरी कृपा सहजता से प्राप्त कर लेते हैं। शिवलिंग की पूजा में किसी तीर्थ जल, समुद्र जल या गंगाजल से अभिषेक करना शिव को अत्यंत प्रिय है।
शिव की पूजा तुरंत शुभ फलदाई
ऐसा माना जाता है कि सावन महीने में की गई शिव पूजा तुरंत शुभ फलदाई होती है। इसके पीछे खुद शिव का ही वरदान है। सावन में भगवान शिव का जाप करना सभी रोग-दोषों से मुक्त करता है। भगवान शिव सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देवों के देव माने जाते हैं। तो ॐ नमः शिवाय के जाप में उत्पन्न नाथ ॐ भी उन्हीं का पर्याय है।
इस मंत्र से बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं शिव
शिव पुराण के अनुसार शिव मतलब सृष्टि के सृजनकर्ता को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ ॐ नमः शिवाय का जाप ही काफी है। शिव इस मंत्र से बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं। पुराणों में कहा गया है कि ॐ नमः शिवाय महामंत्र जिसके मन में वास करता है, उसे कई मंत्र, तीर्थ और यज्ञ की जरूरत नहीं है। बस ये मंत्र ही मोक्ष प्रदाता है, पापों का नाश करता है।
ॐ नमः शिवाय जाप का महत्व
कहा जाता है कि ॐ नमः शिवाय जाप में नमः शिवाय की पंच ध्वनियां सृष्टि में मौजूद पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं। जिनसे पूर्ण सृष्टि बनी है, और प्रलय काल में उसी में विलीन हो जानी है। जहां ‘न’ का मतलब पृथ्वी, मः मतलब पानी, शि मतलब अग्नि, वा मतलब प्राणवायु और य अर्थात आकाश होता है।
इसलिए शिव के इस पंचाक्षर मंत्र में सृष्टि के पांच तत्वों को नियंत्रित करने की क्षमता है। और इसका जाप नियमित करने पर शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
भगवान शिव को रुद्राक्ष की माला प्रिय
ॐ नमः शिवाय का जाप भक्तों को शिवालय घर में साफ और एकांत जगह पर बैठकर करना चाहिए। जो कम से कम 108 बार हर रोज रुद्राक्ष की माला से हो तो और अच्छा है।भगवान शिव को रुद्राक्ष की माला बहुत प्रिय है।
ध्यान रखें कि जाप हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर बैठकर ही करें। अगर आप गंगा के किनारे शिवलिंग की स्थापना और पूजा करने के बाद जाप करेंगे तो उसका सबसे उत्तम फल होगा। इसके अलावा इस मंच के उच्चारण से समस्त इंद्रियां भी जाग उठती हैं।