लखनऊः पुनर्जन्म की बात करें तो इसकी धारणा भारत में भी काफी प्रचलित है। हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म के अलावा अन्य कई धर्मों में पुनर्जन्म की धारणा को माना गया है। इन धर्मों में कहा गया है कि मनुष्य के शरीर का अंत होता है, आत्मा का नहीं। आत्मा अमर है।
मृत्यु के बाद आत्मा नया शरीर लेकर फिर से जन्म लेती है। आपने भी ऐसे काफी किस्से सुने होंगे जब कई लोगों को उनके पिछले जन्म की बातें याद आ जाती हैं। उनके स्वपन में पिछले जन्म की घटनाएं दिखाई देती हैं।
विज्ञान भी नहीं खोज पाया ठोस जवाब
पुनर्जन्म के रहस्य पर विज्ञान लंबे समय से खोज कर रहा है। अभी तक विज्ञान किसी ठोस आधार पर नहीं पहुंच पाया है। पूर्व जन्म के काफी किस्से अक्सर अखबार-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। पुनर्जन्म पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं। बहुत सी फिल्मे बन चुकी हैं। प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात, प्लेटो और पायथागोरस भी पुनर्जन्म पर विश्वास करते थे। दुनिया की लगभग सभी प्राचीन सभ्यताएं भी पुनर्जन्म में विश्वास करती थी।
इन किताबों में मौजूद हैं 500 पुनर्जन्म की कहानियां
बेंगलुरु की नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के रूप में कार्यरत डॉ सतवंत पसरिया द्वारा इस विषय पर शोध किया गया था। उनकी लिखी हुई किताब (श्क्लेम्स ऑफ रिंइकार्नेशनरू एम्पिरिकल स्टी ऑफ कैसेज इन इंडियास) में 1973 के बाद से भारत में हुई 500 पुनर्जन्म की घटनाओं का उल्लेख मिलता है।
इसी प्रकार गीता प्रेस गोरखपुर में भी अपनी एक किताब “परलोक और पुनर्जन्मांक” में ऐसी कई घटनाओं का वर्णन किया गया है, जिसमें पुनर्जन्म की पुष्टि होती हैं।