नई दिल्ली: शक्तिशाली चक्रवाती तूफान टाक्टे महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक में तबाही मचाने के बाद गुजरात पहुंच गया। यह चक्रवाती तूफान उत्तर भारत के कई राज्यों में अपना असर दिखा रहा है। हालांकि, अब यह धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा है।
विश्व मौसम संगठन (WMO) के विशेषज्ञों की राय में जलवायु परिवर्तन इसका बड़ा कारण है। इसी के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है। समुद्र में जो चक्रवात बनते हैं, उन पर भी तापमान के बढ़ने का व्यापक असर पड़ा है।
गर्म क्षेत्र में बनते हैं चक्रवात
दरअसल, समुद्र के गर्म क्षेत्र में ही चक्रवात बनते हैं। यहां से चलने वाली हवाएं गर्म होकर कम वायु दाब का क्षेत्र बनाती हैं। यह गर्म हवाएं तेजी से ऊपर आती हैं, जहां उसको नमी मिलती है। इसके बाद यह घने बादल का निर्माण करती हैं।
इस कारण से खाली हुई जगह को भरने के लिए नम हवा तेजी से नीचे और फिर ऊपर उठती है। ऐसे में जब हवाएं तेजी के साथ ऊपर चक्कर काटती हैं तो घने बादल कड़कती बिजली के साथ बारिश करते हैं। इसका बड़ा रूप ही चक्रवात बनता है, जो अपने साथ-साथ तेज हवाएं और बारिश लेकर आता है।
अरब सागर में पहले से बढ़ा तापमान
विशेषज्ञों का मानना है कि अरब सागर में ये सब कुछ जलवायु परिवर्तन और समुद्र के तापमान के बढ़ने से हो रहा है। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि इससे निपटने के लिए कोशिशें तेज करनी होंगी, क्योंकि इस तरह के चक्रवात तटीय इलाकों में कई बार भारी तबाही मचाते हैं। जानकारों की मानें तो अरब सागर में जितना तापमान आज है, पहले इतना नहीं था।
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या में बीते एक दशक के दौरान 11 फीसद बढोत्तरी हुई है। वैज्ञानिकों की मानें तो जैसे-जैसे समुद्र का तापमान बढ़ता जाएगा, चक्रवातों की शक्ति भी उतनी ही तेजी से बढ़ती जाएगी।