नई दिल्ली। केंद्रीय रिजर्व बैंक ने अगस्त मौद्रिक समीक्षा करते हुए देश में कारोबार तेजी से बढ़ाने के लिए रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का एलान किया है। इस कटौती के बाद देश में कर्ज देने के लिए बेस रेट 6 फीसदी पर पहुंच गया है। बाजार के जानकारों को रेपो रेट में हुई इस कटौती की उम्मीद थी। इससे पहले अक्टूबर 2016 में केन्द्रीय बैंक ने रेपो रेट में कटौती की थी। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में दो दिन की मौद्रिक समीक्षा में यह फैसला लिया गया। केन्द्रीय बैंक के मुताबिक 6 सदस्यीय मौद्रीक समिति के 4 सदस्यों ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करने की बात कही। वहीं एक सदस्य ने 50 बेसिस प्वाइंट कटौती करने के लिए अपना वोट दिया।
इस वजह से हुई रेपो रेट में कटौती?
बता दें कि जून महीने में खुदरा महंगाई दर 1.54 फीसदी के निचले स्तर पर रही है जबकि मई महीने का औद्योगिक उत्पादन आंकड़ा 1.7 फीसदी रहा है। जून, 2017 में भारत की महंगाई दर घटकर 1.54 फीसदी रह गई। वहीं औद्योगिक उत्पादन आंकड़ों के मुताबिक मई, 2017 में फैक्टरी उत्पादन विकास दर घटकर 1.7 फीसदी रह गया, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह आठ फीसदी था। ब्याज दरों में कटौती के पीछे महंगाई के इन आंकड़ों का अहम रोल रहा। वहीं आरबीआई को अच्छे मानसून से देश में अच्छी पैदावार की उम्मीद बरकरार है जिसके चलते आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती के लिए सही समय माना है।
वहीं आरबीआई मौद्रिक नीति समीक्षा से ठीक पहले देश के अग्रणी उद्योग मंडल एसोचैम ने आरबीआई से ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती करने का आग्रह किया है। एसोचैम ने हाल ही में सामने आए उन आंकड़ों के मद्देनजर आरबीआई से यह अनुरोध किया है, जिसके अनुसार देश की महंगाई दर पांच वर्षो के दौरान सबसे नीचे रही और फैक्टरी आउटपुट जबरदस्त रहा।