नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने भले ही यह कह दिया हो कि केंद्र सरकार को रिजर्व बैंक का पैसा नहीं चाहिए, लेकिन रिजर्व बैंक के तगड़े सरप्लस से केन्द्र की निगाह हटी नहीं है. ताजा खबर यह है कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक से कहने जा रही है कि वो सरप्लस रिजर्व की सीमा तय करे.
नगदी की मात्रा तय कर सकती है मोदी सरकार
यानी कि रिजर्व बैंक एक नियम बनाकर नगदी की वो मात्रा तय करे जो वह अपने पास रख सकता है. साथ ही माना जा रहा है कि एक बार ये सीमा तय हो जाने के बाद केंद्र बाकी बची रकम को अपने खाते में ट्रांसफर करने के लिए रिजर्व बैंक को कह सकती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार रिजर्व बैंक के बोर्ड में मौजूद अपने प्रतिनिधियों के जरिये केंद्रीय बैंक द्वारा रखे जाने वाले सरप्लस रिजर्व की सीमा तय करना चाहती है.
रिजर्व बैंक के खजाने पर केंद्र की नजर
बता दें कि इस वक्त रिजर्व बैंक का मौजूद सरप्लस रिजर्व 9.63 लाख करोड़ तक पहुंच गया है. पिछले सप्ताह जब ये रिपोर्ट आई थी कि केंद्र सरकार ने आरबीआई को उसकी आरक्षित निधि से 3.6 लाख करोड़ रुपये सरकार को ट्रांसफर करने को कहा है तो इस पर राजनीति से लेकर आर्थिक जगत में खलबली मच गई. माना जा रहा है सरकार से निर्देश रिजर्व बैंक और मोदी सरकार के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई.
हालांकि मामला बिगड़ता देख वित्त मंत्रालय ने डैमेज कंट्रोल किया. शुक्रवार को आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने इस खबर को खारिज करते हुए इसे गलत सूचनाओं पर आधारित कयासबाजी करार दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और देश का राजकोषीय घाटा लक्ष्य के अनुरूप है.