भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल पेमेंट में बड़े बदलाव की तैयारी कर ली है. भारतीय रिजर्व बैंक ने पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स को नया स्व-अधिकार वाला क्यूआर कोड जारी करने से मना कर दिया है. जानकारी के मुताबिक, डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्टर में सुधार के लिए आरबीआई ये फैसला लिया है.
भारतीय रिज़र्व बैंक को मुताबिक सभी पेमेंट ऑपरेटर्स को मार्च 2022 तक इंटरऑपरेबल क्विक रिस्पॉन्स कोड को अपनाना होगा. RBI के इस आदेश का मतलब है कि पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स को एक ऐसे क्यूआर कोड सिस्टम में शिफ्ट करना होगा, जो दूसरे पेमेंट ऑपरेटर्स द्वारा भी स्कैन हो सके. इस प्रोसेस को लागू करने की आखिरी तारीख 31 मार्च 2022 तय की गई है.
प्रोफेसर दीपक पाठक की अगुवाई वाली एक कमेटी ने अगले दो साल में इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड्स में बदलाव को लेकर कई सुझाव दिए थे. वर्तमान में, देश में तीन तरह के QR कोड चलते हैं. ये Bharat QR, UPI QR और प्रोपराइटरी QR कोड हैं. UPI QR और Bharat QR पहले की तरह ही जारी रहेंगे. आरबीआई का कहना है कि स्मार्टफोन्स इस समय देशव्यापी हो गए हैं और ई-पेमेंट्स का आधार क्यूआर बनते जा रहा है.
पेमेंट ऑपरेटर्स करेंगे जागरुक
केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि इंटरऑपरेबल QR कोड्स के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स को पहल करनी होगी. पाठक कमेटी के इस सुझाव से पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में मदद मिलेगी. इंटरऑपरेबिलिटी की वजह से आम लोगों को सहूलियत होगी और पेमेंट सिस्टम भी पहले से बेहतर हो सकेगा.
पिछले साल दिसंबर में बनी थी कमेटी
बता दें कि केंद्रीय बैंक ने 23 दिसंबर 2019 को एक कमेटी का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता डी बी पाठक को दी गई थी. इस कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी गई कि वो मौजूदा QR Code सिस्टम का रिव्यू करे और उचित सुझाव दे ताकि इंटरऑपरेबल QR कोड सिस्टम को लागू किया जा सके. इसके बाद RBI को इस कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट को RBI की आधिकारिक वेबसाइट पर पब्लिश किया ताकि पब्लिक कमेंट्स व फीडबैक प्राप्त किया जा सके. जुलाई में कमेटी ने सिफारिश की थी कि QR कोड के जरिए लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए इंसेटिव्स दिया जाए.