नई दिल्ली। हर साल की तरह इस बार भी राष्ट्रपति की ओर से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया। इस पार्टी का आयोजन राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर में किया गया था। सभी दलों के लोगों के साथ सभी देशों के राजनायिकों और बड़े अफसरों के साथ विशिष्ठ लोगों को आमंत्रित किया गया था। पार्टी बड़ी ही शानदार और दमदार रही। इस पूरे आयोजन में केवल एक बात चर्चा का बड़ा विषय बनी रही वो बात भी जहां सारा विपक्ष और सभी बड़े नेता और गणमान्य उपस्थित थे वहीं मोदी सरकार के मंत्रियों का ढूंढने से भी पता नहीं चल रहा था।
इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनियां गांधी, गुलाम नबी आजाद, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, अल्पसंख्यक आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ग्योअरूल हसन रिजवी, पूर्व सीईसी एस वाई कुरैशी, राज्यसभा की पूर्व सांसद मोहसिना किदवई इस्लामिक सांस्कृतिक केन्द्र के प्रमुख सिराजुद्दीन कुरैशी के अलावा थिएटर जगत के हस्ती के तौर पर आमिर रजा समेत कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे। इन सभी के बीच मौजूदा सरकार की तरफ से कोई प्रतिनिधि इस इफ्तार पार्टी में शरीख नहीं हुआ था। बीते साल हुए रोजा इफ्तार पार्टी में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली और मुख्तार अब्बास नकवी मौजूद रहे थे। लेकिन इस बार एनडीए ने इस आयोजन से बनाई दूरी इस पूरे कार्यक्रम में चर्चा का विषय रही ।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पार्टी के दौरान आये मेहमानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि रमजान के इस पाक महीने में ऊपरवाले से दुआ है कि आप सभी को बरकत दे। बतौर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की ये आखिरी इफ्तार पार्टी राष्ट्रपति भवन में थी। लेकिन इसके बाबजूद इस पार्टी में सरकार के प्रतिनिधि का शामिल ना होना काफी चर्चा का विषय बना हुआ था। सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने इस पर कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई सरकार का प्रतिनिधि इस जलसे में शामिल ना हुआ हो।
हांलाकि इस बारे में केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि मैं समारोह में जाने वाला था, लेकिन उसी वक्त सीसीएपी की बैठक बुला ली गई । ये बैठक बहुत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर जा रहे हैं। इसी के चलते इस जलसे में शामिल ना हो सका।