केंद्र सरकार शनिवार को 12 साल तक के बच्चियों के साथ रेप के दोषियों को फांसी की सजा देने संबंधी अध्यादेश जारी कर सकती है। गौरतलब है कि कठुआ और उन्नाव गैंगरेप मामले में देश में आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग तेजी से उठ रही है। जिसे केंद्र सरकार ने गंभीरता से लेते हुए प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट 2012 (पॉक्सो) में संशोधन करने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार 0-12 साल की बच्चों के साथ रेप के दोषियों को फांसी की सजा के लिए पॉस्को एक्ट में संशोधन करने पर विचार कर रही है।
इसी मामले में केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक पत्र जमा करवाया है। जिसमें सरकार की तरफ कहा है कि वह पॉस्को एक्ट में संशोधन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिसके तहत 0-12 साल की उम्र के बीच की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों को कम से कम मौत की सजा देना सुनिश्चित किया जाएगा। केंद्र ने दायर की गई एक जनहित याचिका के जवाब में अपनी रिपोर्ट जमा करवाई है। इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
पॉक्सो एक्ट की बात करें तो वर्तमान समय में इस अधिनियम की धारा 4 में वह मामले आते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। इसके अंतगर्त सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है।
वहीं एक और गौर करने वाली बात यह भी है कि केंद्र सरकार अब अपने पक्ष के एकदम उलट है। पहले सरकार इन मामलों में फांसी की सजा के प्रावधान का विरोध कर रही थी। सरकार ने कहा था कि हर समस्या का समाधान फांसी की सजा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में गुहार की गई है कि बच्चों से बलात्कार मामले में फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए।