नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने एक महिला से दुष्कर्म के आरोप में उत्तराखंड के भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। असम की रहने वाली 32 वर्षीय महिला ने रावत के खिलाफ शुक्रवार रात शिकायत दर्ज कराई थी। इससे पहले दो बार उन पर यौन शोषण का आरोप लग चुका है। पुलिस ने शनिवार को कहा कि महिला की शिकायत पर दक्षिण दिल्ली के सफदरजंग थाने में शुक्रवार रात रावत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। शिकायत में महिला ने कहा है कि रावत ने अपने ग्रीन पार्क स्थित निवास पर सितंबर 2013 में उसके साथ दुष्कर्म किया था। बताया जाता है कि इसी महिला ने 2014 में भी रावत के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कराई थी।
सूत्रों के मुताबिक, महिला का बयान दर्ज करने के लिए उसे एक दंडाधिकारी की अदालत ले जाया जाएगा। पुलिस भी रावत से पूछताछ की तैयारी कर रही है। रावत हाल ही में तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने मुख्यमंत्री हरीश रावत पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उस वक्त वह हरीश रावत सरकार में कृषि मंत्री थे।
रावत उत्तराखंड के नौ बागी कांग्रेस विधायिकों में से एक थे, जिनकी बगावत के कारण हाल ही में राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद हरीश रावत सरकार ने हालांकि विधानसभा में विश्वासमत जीत लिया था। इस दौरान हालांकि यह बात साफ हो गई कि बागी कांग्रेस विधायकों का नेतृत्व पर्दे के पीछे से हरक सिंह रावत कर रहे थे। यह जगजाहिर होने के बाद हरक सिंह भाजपा में शामिल हो गए।
रावत ने राजनीतिक पारी भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ शुरू की थी। पहली बार वह 1993 में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार में मंत्री बने। वह 1996 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो गए। 2000 में जब उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड का विभाजन हुआ, तब वह कांग्रेस में शामिल हो गए। वह नारायण दत्त तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत की सरकार में मंत्री रहे।
2003 में जब वह नारायण दत्त तिवारी सरकार में मंत्री थे, तब जैनी नामक एक महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था और कहा था कि इसके पिता हरक सिंह रावत हैं। महिला ने आरोप लगाया था कि काम दिलाने के नाम पर उसका यौन शोषण किया गया। इसकी वजह से उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। हालांकि बाद में यह मामला दब गया।
इसी तरह 2014 में मेरठ की रहने वाली एक महिला ने हरक सिंह रावत के खिलाफ शारीरिक शोषण का आरोप लगाया था। उस वक्त वह विजय बहुगुणा सरकार में मंत्री थे। बाद में कहा गया कि दोनों के बीच कथित समझौता हो गया और यह मामला भी दब गया।