श्रीलंका में उत्पन्न राजनीतिक संकट के बाद राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी। जिसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। खबर के मुताबिक श्रीलंका के अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना द्वारा संसद भंग किए जाने का फैसला असंवैधानिक है।उन्होंने कहा कि इस फैसले में संविधान की अवहेलना और 19वें संविधान संशोधन का उल्लंघन किया गया है। विक्रमसिंघे ने जनता और लोकतंत्र पर विश्वास जाहिर करते हुए दोबारा से जनादेश लेने की बात की है।
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श्रीलंकाई संसद भंग किए जाने के बाद शनिवार की सुबह श्रीलंका के अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कोर ग्रुप से मीटिंग की। रानिल विक्रमसिंघे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह अपनी पार्टी, यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की सीरीसेना-राजपक्षे गठजोड़ से हर मोर्चे पर लड़ने के लिए तैयार हैं। विक्रमसिंघे ने कहा कि जनवरी 2019 में होने वाले आम चुनाव के लिए कोई भी तैयार नहीं है।
विक्रमसिंघे ने कहा कि हमने कोर ग्रुप से चुनाव की तैयारियों के संबंध में मीटिंग की है। चुनाव आयोग कुछ क्षेत्रों में प्रोविजनल चुनाव की तैयारियां कर रहा है।विक्रमसिंघे की पार्टी राष्ट्रीय चुनाव के लिए तैयार नहीं है। कोई भी तैयार नहीं है। ऐसे में यह स्थिति बेहद रोमांच हो गई है।
बता दें कि शुक्रवार की रात राष्ट्रपति सीरीसेना ने एक अप्रत्याशित शासनादेश जारी करते हुए 225 सदस्यीय संसद भंग कर दी है। साथ ही 5 जनवरी 2019 को चुनाव की घोषणा भी की है। विक्रमसिंघे ने इसको निराशा में लिया गया फैसला करार दिया है।उन्होंने कहा कि हमारे पास संख्याबल है।हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं।