देहरादून। केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने कहा है कि वेद, पुराण और उपनिषदों में निहित प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करने, समझने और उन पर नए शोध किए जाने की जरूरत है। वह शनिवार को यहां दून विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और नए नवाचार पर दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिमालय प्राचीन काल से दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है और जैव विविधता, विज्ञान और आध्यात्मिकता जैसे इसके विभिन्न पहलुओं पर शोध किया जाना चाहिए।
उन्होंने स्वीकार किया कि उनके कुछ बयान अक्सर हंगामा करते हैं लेकिन उन्होंने कहा कि जो कुछ भी वे बोलते हैं वह प्रामाणिक तथ्यों पर आधारित है। देश के विश्वविद्यालयों में शोध पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि देश में 1,000 से अधिक विश्वविद्यालय हैं जिनमें 33 करोड़ से अधिक छात्र हैं लेकिन इन विश्वविद्यालयों में किया जा रहा शोध समाज के लिए उतना फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है जितना कि यह होना चाहिए।
मंत्री ने जोर दिया कि अनुसंधान समाज के लिए महत्व का होना चाहिए और संबंधित मुद्दों पर अनुसंधान दोहराव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा को उद्योग के साथ तालमेल बनाने की जरूरत है ताकि छात्रों की रोजगार क्षमता बढ़े।
मंत्री ने कहा कि सरकार देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि दुनिया के शीर्ष 200 संस्थानों में देश के केवल तीन शैक्षणिक संस्थान ही हैं और उन्होंने कहा कि देश के अधिक से अधिक संस्थानों को इस विशिष्ट सूची में लाने की आवश्यकता है।