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रमजान स्पेशल: जानिए रमजान की कुछ खास बातें, आखिर क्यों रखे जाते हैं रोज़े

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नई दिल्ली। रमजान ऊर्दू के पाक महीनों में से एक माना जाता है कहा जाता है कि रमजान एक ऐसा महीना है। जिसमें खुदा से अगर कुछ भी मांगों तो वो मिल जाता है । इस पाक महीने में एक भी दुआ रद्द नहीं जाती। रमजान में एक महीने के रोज़े रखे जाते हैं। जिसमें मुस्लिम लोग पूरे दिन में सिर्फ एक बार ही खाना खाते हैं और इस खाने का वक्त शाम 7 बजे होता है। इससे पहले मुस्लिम लोग सुबह 3 बजे सहरी खा कर रोज़ा रखते हैं और फिर पूरे दिन कुछ नहीं खाते पीते हैं। उसके बाद वो बस शाम के वक्त ही रोज़ा इफ्तार करके ही कुछ खाते हैं। बता दें कि रमजान शुरू होने से पहले रमजान को लेकर ढ़ेर सारी तायारियां शुरू हो जाती हैं। जैसे मस्जिदों में साफ सफाई के साथ ही उनमें रंगाई का काम शुरू हो जाता है। तो वहीं रमजान की खुशी में बाजार सजने शुरू हो जाते हैं। साथ ही इफ्तार और सहरी के वक्त के इस्लामिक कैलेंडर बटने शुरू हो गए हैं। रमजान के पाक और मुकद्दस महीने की शुरूआत 28 मई से होगी।

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34 साल बाद आया ऐसा रमज़ान

बता दें कि रमजान इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से 9वां महीना है और मुस्लिम लोग इस महीने को बहुत ही पाक और पवित्र मानतें हैं। इसमें पूरे एक महिने के रोज़े(उपवास) रखना वाजिब माना जाता है। जो कि 9 साल की लड़की और 14 साल के लाड़के पर वाजिब हो जाते हैं। माना जाता है कि इसी महीने में कुरआन ऊतरी थी जिसकी वजह से इस महीने में कुरआन का पढ़ना सबसे ज्यादा सवाब (पुण्य) का काम माना जाता है। इस पाक महीने में सभी के लिए दुआएं की जाती हैं। इस महीने में सदका जक़ात देना सबसे बड़ा सवाब का काम माना जाता है। इस बार का रमजान कुछ ज्यादा ही खास है और इस लिए कि इस बार रमजान का महीना अकीदतमंदों के लिए कड़े इम्तिहान का रहेगा। क्योंकि इस साल 34 साल बाद ऐसे वक्त पर रमजान आया है जब कोई भी दिन 15 घंटे से कम का नहीं होगा। रोजेदारों को हर रोज़ा 15 घंटे का रखना पड़ेगा। जिसमें पहला रोज़ा ही 15 घंटे 34 मिनट का होगा। इससे पहले 1983 में रमजान जून में आया था, तब भी ऐसी ही कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ा था।

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15 घंटे का होगा रोज़ा

रमजान माह 3 दिन बाद शुरू हो रहा है। ज्येष्ठ व आषाढ़ के बीच रोजा होने से कोई भी रोजा 15 घंटे से कम का नहीं होगा। जानकारी के मुताबिक पहले रोजे की सेहरी सुबह करीब 3.53 बजे समाप्त होगी और इफ्तार शाम 6.41 बजे होगा। यानी यह रोजा 15 घंटे 34 मिनट का होगा। रमजान में लोग नियमित नमाज अदा कर रोजे रखते हैं। महीने के आखिर में चांद के दीदार के साथ ही रोजे संपन्न होंगे व ईद मनेगी। रमजान में जकात दी जाती है व ईद को नमाज से पहले गरीबों में फितरा बांटते हैं। इससे ईद को ईद-उल-फितर कहते हैं। रमजान के पाक महीने में अल्लाह ताला ने तीस दिन को तीन हिस्सों में बांटा है। पहला रहमतों वाला, दूसरा मगफिरत वाला और तीसरा जहन्नुम से आजादी वाला। इस महीने की फजीलत यह है कि हर नेकी के बदले 70-70 गुना सवाब बंदों को मिलता है। मदीना मस्जिद गोल बाजार के मौलाना शब्बीर ने बताया रमजान का महीना पवित्र होता है। यह पूरा माह पूजा इबादत का होता है। जब भी गर्मी के मौसम में पाक रमजान महीना आता है रोजे का समय बढ़ जाता है। सूर्य उदय से पहले शुरू होकर यह सूर्य अस्त के बाद तक चलता है। गर्मी में सूर्य उदय जल्दी और अस्त देरी से होता है इस कारण रोजे का समय बढ़ जाता है। इन दिनों दिन लंबे होते हैं।

कुरआन पढ़ने का सवाब

रमजान के महीने में मस्जिदों में लोगों की तादात ज्यादा देखने को मिलती है। इसलिए जिन मस्जिदों में पानी व्यवस्था कम होती है उनमें जिसके लिए मस्जिदों में ज्यादा से ज्यादा सफों और पानी का भी इंतेजाम किया जा रहा है। ज्यादा पानी के लिए दिल्ली जल बोर्ड भी सहयोग कर रहा हैं। इसके साथ ही मस्जिदों में तरावीह की नमाज पढ़ाने के लिए हाफिज-ए-कुरान की चयन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। उम्दा कुरान पढऩे वाले हाफिजों को मस्जिदों में तरजीह दी जाती है।

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रमजान में अच्छी टोपियों की मांग

रमजान में जिस तरह बजारों और दुकानों में धार्मिक किताबों की मांग बढ़ जाती है। ठीक उसी तरह बाजारों में मुस्लिम लोगों के लिए टोपियों की मांग बढ़ जाती है। बाजार में इस बार 8 रुपए से लेकर साढ़े चार सौ से अधिक रुपए की टोपियां मिल रही है। वहीं नमाज और रोजे के तरीके को लेकर धार्मिक पुस्तकों से जानकारी हासिल की जा रही है ।

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बाजारों में रमजान की रौनक

दिल्ली-6, अजमेरी गेट, हौजकाजी, जामिया नगर, शाहीन बाग, अबुल-फजल एंक्लेव, इंद्रलोक, सीलमपुर, शाहदरा, नांगलोई, महरौली, निजामुद्दीन में घरों से लेकर बाजारों तक रौनक दिखने लगी है। एक ओर जहां बाजारों को सजाया जा रहा तो वहीं घरों को भी सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों में मठरी, सेंवई फेन, केक रस, खजूर की दुकानें सजने लगी हैं। सेंवई विक्रताओं का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में सेंवई-फैनी आदि के दामों में खास अंतर नहीं रहेगा। पहले रोजे के साथ ही खरीदारी तेज होगी।

मस्जिदों में इफ्तार पार्टी की तैयारी

रमजान शुरू होते ही मस्जिदों में रमजान की इफ्तार पार्टी की तैयारियां होनी शुरू हो जाती हैं। ये इफ्तार पार्टी इस लिए दी जाती है ताकि कोई भी रोजदार भूखा न रह जाए। रमजान में लोग ज्यादातर अपने दफ्तरों के वक्त में बदलाव कर लेते हैं और इफ्तार के वक्त से पहले घर लौट आते हैं। मस्जिद कमेटी और स्थानीय लोगों की मदद से हर साल की तरह इस साल भी सामूहिक इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जाता है। जामा मस्जिद, फतेहपुरी मस्जिद, निजामुद्दीन दरगाह, निजामुद्दीन मरकज के अलावा इंद्रलोक के मस्जिदों में पूरे महीने सामूहिक इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जाता है।

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इत्र और सुरमे की दूकाने सजी

रोजेदार रमजान में सुरमा और इत्र लगाना पसंद करते हैं। माह-ए-मुकद्दस रमजान में इत्र लगाना, सुरमा लगाना, नए कपड़े पहनना सुन्नत है। ऐसे में सुरमा और इत्र के बाजारों में रौनक बढ़ गई है। युवा सुरमा लगाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते हैं। 20 से 40 रुपए में तीन से पांच ग्राफ सुरमा बिक रहा है। बाजार में ममीरा खास, खोजाती, सदफ, गुलाब, रैदी आदि सुरमा रोजेदार सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। वहीं इत्र में जन्नतुल फिरदौस और मजमुआ की अधिक मांग है। रमजान में सुरमा और इत्र एक महत्वपुर्ण भूमिका निभाता है।

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