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जानें रमा एकादशी के व्रत का महत्व और तिथि, ऐसे करेंगे पूजन तो होगा लाभ

rama ekadashi

दीपावली से 3 दिन पहले रमा एकादशी का व्रत 11 नवंबर 2020 को पड़ रहा है. ये व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. इस एकादशी को रंभा एकादशी भी कहते हैं.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने की 11 वीं तिथि को एकादशी कहा जाता है. एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित दिन माना जाता है. एक महीने में दो पखवारे होने के कारण दो एकादशी होती हैं, एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष की. इस प्रकार, एक वर्ष में कम से कम 24 एकादशी हो सकती हैं, लेकिन अधिक मास के मामले में, यह संख्या 26 भी हो सकती है.

दीपावली से तीन दिन पहले आती है रमा एकादशी

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी रमा एकादशी के नाम से जानी जाती है. इस वर्ष रमा एकादशी 11 नवंबर 2020 बुधवार को आ रही है.

मां लक्ष्‍मी को तुलसी का भोग पूजन में जरूर लगाएं

इस खास दिन पर माता लक्ष्मी की विधिवत तरीके से जो भी भक्त पूजा-अर्चना करता है उसे जीवन में कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है.

श्री व‍िष्‍णु और लक्ष्‍मी पूजन साथ करना चाह‍िए

कार्तिक माह की इस एकादशी पर श्रीहरि भगवान विष्णु का पूजन और भागवत महापुराण का पाठ करने से पापों का क्षय होता है. भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होती है और दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है.

रमा एकादशी पूजा की विधि

रमा एकादशी पूजा की विधि रमा एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व जागकर स्नानादि से निवृत्त होकर सबसे पहले सूर्य को अ‌र्घ्य दें. फिर पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके एक चौकी पर भगवान विष्णु का चित्र स्थापित करें. अब सबसे पहले गणेशजी का पूजन करें फिर भगवान विष्णु का षोडशोपचार पूजन संपन्न करें. भगवान को तुलसी दल अर्पित करें. केले का नैवेद्य लगाएं. इस एकादशी के दिन श्रीहरि को केले का नैवेद्य अवश्य लगाना चाहिए. एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें. दिन भर व्रत रखें. आवश्यकतानुसार फलाहार ग्रहण करें. रात्रि में दीपदान करें. भगवान का भजन करते हुए जागरण करें. दूसरे दिन प्रात: स्नानादि करके व्रत का पारणा करें. किसी ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाएं. दान-दक्षिणा दें. फिर स्वयं व्रत खोलें.

रमा एकादशी महत्व

मान्यता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इस व्रत के बारे में पद्म पुराण में भी बताया गया है. इस पुराण के अनुसार, रमा एकादशी व्रत करने से कामधेनि और चिंतामणि के समान फल की प्राप्ति होती है. साथ ही मां लक्ष्मी और विष्णु जी की कृपा भी बरसती है. व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य की भी कोई कमी नहीं रहती है.

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