देहरादून। देश के प्रसिद्ध अधिवक्ता और समाजसेवी राम जेठमलानी का देहान्त हो गया। उनके निधन से देश में शोक की लहर है। सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठतम अधिवक्ताओं में से एक राम जेठमलानी की विद्वता पर जज भी उनका सम्मान करते थे। एक वकील के साथ-साथ जेठमलानी दरियादिल और नेक इंसान थे।
सावन के 95 वसंत देख चुके जेठमलानी का उत्तराखंड गहरा नाता रहा है। मंहगे वकीलों में भी रामजेठमलानी का नाम आता है वो केस के लिए कम से कम 25 लाख रुपये फीस लेते थे।
लेकिन एक समय ऐसा आया जब वे एक शिक्षिका का केस लड़ने के लिए बगैर फीस लिए ही तैय्यार हो गए। वर्ष 2018 में उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में अनुशासनहीनता के आरोप में एक शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया। इस मामले की चर्चा तेजी से वायरल होने लगी इसके बाद रामजेठमलानी ने उनका केस लड़ने के लिए नि:शुल्क पेशकश की, हालाकि किन्हीं कारणों से केस नहीं किया जा सका था। शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा का केस मुफ्त में लड़ने वाले वकील रामजेठमलानी उस वक्त एक बार फिर सुर्खियों में आ गए थे।