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राम जन्मभूमि पूजन तीन चरणों में होगा पूरा, जाने कौन-कौन से वो तीन चरण

ram tampel राम जन्मभूमि पूजन तीन चरणों में होगा पूरा, जाने कौन-कौन से वो तीन चरण

राम जन्मभूमि के निर्माण की तारिखों का एलान हो चुका है। 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया जाएगा पीएम मोदी इस भूमिपूजन में हिस्सा लेंगे।

अयोध्या। राम जन्मभूमि के निर्माण की तारिखों का एलान हो चुका है। 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया जाएगा पीएम मोदी इस भूमिपूजन में हिस्सा लेंगे।  बता दें कि राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन का विधान तीन चरण में किया जाएगा। पहले चरण में सूर्यादि नवग्रह का आह्वान होगा। दूसरे चरण में इंद्रादि प्रधान देवताओं एवं गंधर्वों आह्वान होगा। वहीं तीसरे चरण में महागणपति पूजन के साथ भूमिपूजन होगा। तीनों चरणों में वैदिक ब्राह्मणों द्वारा चतुर्वेद पारायण निरंतर होता रहेगा।

वहीं राम मंदिर के निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन में कर्मकांड के साक्षी काशी तीन विद्वान बनेंगे जो काशी के होंगे। भूमिपूजन शास्त्रों के अनुसार हो रहा है या नहीं इसकी निगरानी के लिए काशी विद्वत परिषद के तीन पदाधिकारियों को अयोध्या बुलाया जाएगा। काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के मुताबिक भूमि पूजन तीन चरणों में पूरा होगा। भूमिपूजन के लिए देश के अलग-अलग जगहों से 11 वैदिक ब्राह्मणों को अयोध्या आमंत्रित किया जाएगा है।

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वहीं काशी विद्वत परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ज्योतिषविद् पं. रामचंद्र पांडेय, बीएचयू के ज्योतिष विभागाध्यक्ष एवं परिषद के संगठन मंत्री पं. विनय कुमार पांडेय और मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी चार अगस्त की शाम अयोध्या रवाना होंगे। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 51 किलो की रजत शिला का पूजन करेंगे। सोमवार को काशी विद्वत परिषद् की ऑनलाइन बैठक हुई। बैठक में अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल, महामंत्री प्रो. शिवजी उपाध्याय, प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, प्रो राजाराम शुक्ल, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. विंधेश्वरी मिश्र ने विचार विमर्श किया। इस बैठक में भूमिपूजन के कर्मकांड के विभिन्न चरणों में पूर्ण किए जाने वाले विधानों पर चर्चा की गई। यह भी तय हुआ कि अयोध्या में भूमि पूजन के उपरांत प्रधानमंत्री जब भी काशी आएंगे, तब उनका अभिनंदन परिषद की ओर से किया जाएगा।

मंदिर के भूमि पूजन पर शंका करना व्यर्थ

प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि हरिशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी के बीच विवाह आदि मंगल कार्य करने का निषेध है, लेकिन पूजन आदि धार्मिक कृत्य करने पर कोई रोक नहीं है। श्रीरामचरितमानस के एक प्रसंग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब राजा दशरथ भगवान् श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए महर्षि वशिष्ठ से शुभ मुहूर्त निकालने को कहते हैं, तब ज्योतिष शास्त्र के अष्टादश प्रवर्तकों में प्रमुख महर्षि वशिष्ठ जी कहते हैं ‘बेगि  बिलंबु न करिअ नृप साजिअ सबुइ समाज। सुदिन सुमंगलु तबहिं जब रामु होहिं जुबराज।।’ अर्थात् हे राजन्! अब देर न कीजिये। शीघ्र सब समाज को जुटाइए, जब श्रीराम राज्याभिषेक कराना चाहेंगे, वही समय और दिन शुभ और मंगल होगा। इस दृष्टि से श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन जब किया जाएगा, वही शुभ दिन और मंगल मुहूर्त बन जाएगा।

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