नई दिल्ली। बीते काफी सालों से चले आर रहे राम मंदिर मामले में आज देश की सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई होगी। कोर्ट आज भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें कहा गया है कि राम जन्म भूमि विवाद पर कोर्ट में रोज सुनवाई की जाए। इसके साथ ही पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि इस विवाद पर सभी पक्ष आपसी सहमति से चर्चा करें जिसके लिए उन्हें 31 मार्च का समय दिया गया था। यानि कि आज इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को अदालत में अपना पक्ष रखना है।
2010 में जमीन को तीन पक्षों में बांटने का दिया था आदेश:-
अयोध्या राम जन्म भूमि विवाद काफी साल पुराना है। साल 2010 में इलाहाबाद की होईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने विवाद पर फैसला सुनाते हुए कहा जमीन को तीनों पक्षकारों में बांटा जाय। ये तीनों पक्षकार रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड है। इस फैसले के बाद सभी पक्षकारों ने कोर्ट में अपीलें दाखिल की हैं जो कि पिछले 6 सालों से लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट के बाहर सुलझाने की दी हिदायत:-
इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी पक्षों से इस विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने की अपील की थी। कोर्ट ने कहा था कि इस मुद्दे को आउट ऑफ कोर्ट सेटेलमेंट करें और अगर जरुरत पड़ी तो कोर्ट के जज इस बात की मध्यस्थ्ता कर सकते हैं। कोर्ट के इस हिदायत के बाद कई नेताओं ने इस आदेश का स्वागत भी किया।
कोर्ट के बाहर सेटलमेंट नहीं है मंजूर:-
जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने की इस टिप्पणी का कई नेताओं ने स्वागत किया हैं तो दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य, ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और बाबरी मस्जिद के लिए केस लड़ रहे वकील जफरयाब जिलानी ने इस पर ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि वो कोर्ट के सुझाव का स्वागत तो करते हैं लेकिन कोर्ट के बाहर मसले को सुलझाने में विश्वास नहीं रखते हैं।