एजेंसी, वाशिंगटन। भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया है और इसके बाद से पाकिस्तान लगातार परेशान है लेकिन उसकी पूरे विश्व में कोई सुनने वाला नहीं है। इसी क्रम में अमेरिका में भी अनुच्छेद 370 के हटने के समर्थन में भारतीयों ने रैली निकाली और लोगों को बताया कि इससे उन्हें खुशी है। भारत सरकार ने पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला किया था।
कश्मीरी पंडितों ने भारतीय अमेरिकी समुदाय के अन्य लोगों के साथ अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के समर्थन में अटलांटा में ‘सीएनएन’ मुख्यालय के समक्ष पिछले सप्ताह रैली निकाली। कश्मीरी मूल के अटलांटा निवासी और ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन एसोसिएशन’ (एनएफआईए) के पूर्व अध्यक्ष सुभाष राजदान ने कहा कि रैली ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि जम्मू- कश्मीर से संबंधित इन अस्थायी अनुच्छेदों में इन संशोधनों की आवश्यकता थी, क्योंकि ये लगभग सभी कश्मीरी अल्पसंख्यकों (जैसे शिया, दलित, गुर्जर, कश्मीरी पंडित, कश्मीरी सिखों) के खिलाफ अत्यधिक भेदभावपूर्ण थे। रैली में कश्मीरी पंडितों ने अपने विस्थापन और अपनी मातृभूमि वापस जाने की तड़प के बारे में बताया, जो उन्होंने 1990 में आतंकवाद के कारण छोड़ी थी।
राजदान ने कहा कि मोदी सरकार के इस कदम से भारत के हिंदुओं, मुस्लिमों, सिखों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों को कानून के समक्ष बराबरी का अवसर मिलेगा। इस बीच, ‘लैंसेट’ पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. रिचर्ड होर्टन को लिखे एक पत्र में कश्मीरी-मूल के प्रवासी चिकित्सकों ने कहा कि 17 अगस्त को प्रकाशित उनकी हालिया राय में कई प्रासंगिक तथ्यों की अनदेखी की गई है।