राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर ‘प्राइवेट मेंबर बिल’ का समर्थन करने के लिए विपक्षी पार्टियों का आह्वान किया है।अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा एक बार फिर राजनीति के केंद्र पर है।इसको लेकर काफी समय से उठती मांग के बीच अब राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने इस पर प्राइवेट मेंबर बिल के लिए कहा है। गुरुवार को राकेश सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि जो लोग बीजेपी और आरएसएस को उलाहना दे रहे हैं कि राम मंदिर की तारीख बताएं। उनसे उन्होंने कहा कि क्या वह उनके प्राइवेट बिल का समर्थन करेंगे।
सिन्हा ने लिखा कि अब समय आ गया है कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। राज्यसभा सांसद ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिर आर्टिकल 377, जलीकट्टू, सबरीमाला पर निर्णय लेने पर कितने दिन लिए? अयोध्या का मामला उनकी प्राथमिकताओं में नहीं है,लेकिन हिंदुओं की प्राथमिकता में वह जरूर है।उन्होंने ट्वीट कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी,लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी, लालू प्रसाद यादव और मायावती से सीधा सवाल किया। क्या वह उनके इस बिल का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष लगातार बीजेपी और संघ पर तारीख नहीं बताएंगे की बात कहते हैं। क्या अब वह जवाब देंगे।
राकेश सिन्हा का ट्वीट-
How many days SC took to give verdict on Article 377, Jallikattu, Sabarimala ?But Ayodhya is not in priority for decades and decades . It is a top priority of Hindu society .
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) November 1, 2018
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस) की और से लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर राम मंदिर निर्माण को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। महाराष्ट्र में चल रही संघ की बैठक में भी इस मुद्दे पर मंथन हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बुधवार को अयोध्या में भव्य राम मंदिर के शीर्घ निर्माण के लिए अध्यादेश लाने या कानून बनाने की अपनी मांग को दोहराया। आरएसएस के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण राष्ट्रीय गौरव का विषय है और अभी तक अयोध्या विवाद का हल अदालतों में नहीं निकला है।
डॉ.मनमोहन वैद्य ने कहा कि अब सरकार को चाहिए कि राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण कर काम शुरू किया जाए। राष्ट्र के गौरव को बहाल करना चाहिए। वैद्य की यह टिप्पणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल के मद्देनजर आई है। जिसका उद्घाटन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किया ।
मालूम हो कि लोकसभा और राज्यसभा में जो सांसद मंत्री नहीं है वह एक निजी सदस्य होता है। लोकसभा में ऐसे सदस्यों की ओर से पेश किए गए विधेयक को निजी विधेयक कहते हैं। हालांकि निजी विधेयक के पारित होने की सम्भावना कम होती है। प्रत्येक शुक्रवार को संसदीय कार्यवाही के आखिरी दो या ढाई घंटों का समय निजी बिल के लिए निर्धारित रहता है।