चंडीगढ़: चंडीगढ़ के एक डॉक्टर ने बीते साल सितंबर में सीबीआई (CBI) के आला अफसरों पर 50 लाख रुपए ऐंठने का प्रयास करने का आरोप लगाया था. अब इस मामले में चंडीगढ़ विजिलेंस ने डॉक्टर की शिकायत दर्ज कर ली है. शिकायत के आधार पर सीबीआई ने यूटी एडवाइजर को जांच के लिए पत्र लिखा है. आरोपियों में सीबीआई के पूर्व डिप्टी चीफ राकेश अस्थाना, चंडीगढ़ के पूर्व डीजीपी तेजिंदर सिंह लूथरा, दिल्ली में तैनात डीएसपी सतीश कुमार और इंस्पेक्टर अश्वनी कुमार शामिल हैं. सभी को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है.
आरोप है कि विवादों में घिरे रहे सीबीआई के पूर्व डिप्टी चीफ राकेश अस्थाना के इशारे पर चंडीगढ़ के एक डॉक्टर से 50 लाख रुपए ऐंठने का प्रयास किया गया. डॉक्टर की शिकायत पर अस्थाना, चंडीगढ़ के पूर्व डीजीपी तेजिंदर सिंह लूथरा, दिल्ली में तैनात डीएसपी सतीश कुमार और इंस्पेक्टर अश्वनी कुमार के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं. इसके लिए सीबीआई दिल्ली ने ही यूटी के चीफ विजिलेंस अफसर यानी एडवाइजर मनोज परिदा को पत्र लिखा है.
पत्र में कहा गया है कि सारा मामला चंडीगढ़ का है. वहीं पर अफसरों ने पावर का मिसयूज करने की कोशिश की है. इसलिए यूटी विजिलेंस ही इसकी जांच करे. यूटी विजिलेंस ने इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कर शिकायतकर्ता डॉक्टर मोहित से पूछा था की कि अगर वे शिकायत पर कायम हैं, तो ही आगे जांच होगी. डॉक्टर की हामी के बाद आगामी कार्रवाई की शुरुआत की गई. आपको बता दें कि राकेश अस्थाना इन दिनों नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में तैनात हैं, जबकि तेजिंदर लूथरा दिल्ली पुलिस में.
ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि चंडीगढ़ के सेक्टर-21 निवासी डॉक्टर मोहित दीवान ने आरोप लगाया है कि आईपीएस राकेश अस्थाना के इशारे पर तत्कालीन डीजीपी लूथरा ने उनसे 50 लाख रुपए उनकी विदेशी पेशेंट को दिलवाने चाहे. इसके लिए डीएसपी सतीश कुमार और तत्कालीन एसएचओ अश्वनी कुमार ने हरसंभव प्रयास किया. उन्हें परेशान किया गया. कभी घर पर पुलिस भेजी गई, तो कभी उन्हें पुलिस हेडक्वार्टर ले जाकर डीजीपी के कमरे में धमकाया गया. डॉक्टर मोहित दीवान ने सितंबर 2019 में डायरेक्टर सीबीआई दिल्ली को शिकायत दी थी.
क्या होगा आगे
डॉक्टर के आरोप के मुताबिक इस मामले में बड़े अफसर इनवॉल्व हैं. इसलिए सीबीआई ने सीधा एडवाइजर मनोज परिदा को जांच के लिए कहा है. आदेश के बाद विजिलेंस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है. पहले शिकायतकर्ता के बयान दर्ज किए जाएंगे. इसके बाद जिन अफसरों पर आरोप लगे हैं उन्हें जांच में शामिल होने के लिए बुलाया जा सकता है.