नई दिल्ली। राष्ट्र के निर्माण में भूदान आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले आचार्य विनोबा भावे ने देश की आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर भाग लिया। आज भी उन्हें मानवाधिकार की रक्षा और अहिंसा के लिए जाना जाता है। आज उनकी जयंती के दिन केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की ओर से उन्हें शत शत नमन किया है। आज हम आपको उनकी जयंती पर उनकी जिंदगी के कई ऐसे सुध्दांतों को बताने वाले हैं जो आपकी जिंदगी को बदल सकता है।
भूदान आंदोलन के प्रणेता, महान सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी आचार्य विनोबा भावे की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि! pic.twitter.com/THDUcwfmVA
— Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) September 11, 2018
बिनोवा भावे का असली नाम विनायक नरहरि भावे था। उनका जन्म महाराष्ट्र के कोलाबा में 11 सितंबर, 1895 को हुआ था। वनायक नरहारी विनोबा भावे, अहिंसा और मानवाधिकारों के एक भारतीय वकील थे। उन्हें विनोबा भावे के नाम से ज्यादातर लोग जानते हैं। उन्हें आचार्य कहा जाता है, वह भूदान आंदोलन के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते है, उन्हें भारत के राष्ट्रीय शिक्षक और महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी के रूप में भी जाना जाता है। वह सत्याग्रह के लिये चुने जाने वाले पहले व्यक्ति थे।
गाँधी जी के भाषण से हुए प्रभावित
उन्हें शीर्षक आचार्य (“शिक्षक”) के नाम से सम्मानित किया गया था। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में गांधी के भाषण के बारे में समाचार पत्रों में छपी एक रिपोर्ट ने विनोबा का ध्यान आकर्षित किया। 1916 में मुंबई के माध्यम से मध्यवर्ती परीक्षा में उपस्थित होने के लिये जा रहे थे पर गाँधी जी के भाषण सुनकर उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी विनोबा भावे ने अपने स्कूल और कॉलेज प्रमाण पत्रों को आग में डाल दिया। विनोबा भावे, गाँधी जी से 7 जून 1916 को पहली बार मिले, और वह उनकी बातों से वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना समस्त जीवन उनकी राह में चलते हुये, देश की सेवा में लगा दिया।
वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी से जुड़े थे। वह कुछ समय के लिए गांधी के साबरमती आश्रम में एक कुटीर बनाकर रहे, जिसका नाम उनके नाम पर ‘विनोबा कुटीर’रखा गया 1940 में गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहली व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह में के रूप में चुना गया था। ऐसा कहा जाता है कि गांधी ने भावे की ब्रह्मचर्य को, ब्रह्मचर्य सिद्धांत में अपनी धारणा के अनुरूप अपने किशोरावस्था में एक प्रतिज्ञा की और सम्मान दिया। आपको बता दें कि भावे ने भारत छोड़ो आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
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